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2. अग्निभूति जी
अग्निभूति इन्द्रभूति गौतम के मझले भाई थे। आपका जन्म गोब्वर ग्राम में हुआ, माता का नाम पृथ्वी और पिता का नाम वसुभूति था। अग्निभूति भी वेद वेदांगों के ज्ञाता थे। 46 वर्ष की अवस्था में प्रभु महावीर के पास संयम स्वीकार किया, उससे पहले इन्द्रभूति गौतम के समान इनके मन में कर्म के अस्तित्व के प्रति सन्देह था। बारह वर्ष तक छद्मस्थावस्था में रहे, तत्पश्चात् केवलज्ञान प्राप्त किया। 16 वर्ष तक केवली अवस्था में विचरण कर भगवान महावीर के निर्वाण से दो वर्ष पूर्व राजगृह के गुणशील चैत्य में मासिक अनशन कर 74 वर्ष की अवस्था में निर्वाण को प्राप्त हुए। 3. वायुभूति जी
ये इन्द्रभूति के लघु भ्राता थे। इनका जन्म भी मगध राज्य के गोबरग्राम में हुआ। पिता का नाम वसुभूति और माता का नाम पृथ्वी था। इन्द्रभूति और अग्निभूति श्रमण भगवान महावीर के समीप अपना पाण्डित्य प्रदर्शन हेतु गये किन्तु वहाँ जाकर प्रभु की तेजस्विता व आभा को देखकर पूर्ण रूप से समर्पित हो गये। तब वायुभूति जी अपने शिष्यों के साथ प्रभु के पास गये, और मन में 'जीव और शरीर विषयक' शंका का समाधान प्राप्त कर वे चरणों में दीक्षित हो गये। 42 वर्ष की अवस्था में गृहवास को त्यागा। 10 वर्ष छद्मस्थावस्था में रहे, 18 वर्ष केवली अवस्था में रहे, 70 वर्ष की अवस्था में राजगृह के गुणशील चैत्य में मासिक अनशन के साथ निर्वाण को प्राप्त किया। 4. व्यक्त जी
ये कोल्लागसन्निवेश के निवासी थे। इनका गोत्र भारद्वाज था। पिता का नाम धनमित्र और माता का नाम वारुणी था। व्यक्त जी वेदों के ज्ञाता होने पर भी उनके मन में शंका थी कि 'भूतों का अस्तित्व है या नहीं। प्रभु महावीर ने शंका का समाधान किया। उन्होंने उसी समय 50 वर्ष की अवस्था में अपने 500 शिष्यों के साथ श्रमण धर्म स्वीकार किया। 12 वर्ष तक छद्मस्थावस्था में रहे और 18 वर्ष केवली पर्याय में रहकर 80 वर्ष की अवस्था में मासिक अनशन के साथ राजगृह के गुणशीलक चैत्य में निर्वाण को प्राप्त हुए।
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