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अतीत का ज्ञान - जैसे भविष्य का ज्ञान होता है, वैसे ही अतीत का ज्ञान हो
सकता है।
इन चार तथ्यों के आधार पर यह निश्चित है कि एक ऐसा तत्व है जो भौतिक नहीं है, पौद्गलिक नहीं है। वह आत्म तत्व है। आत्मा से पूर्वजन्म और पुनर्जन्म की समस्या सुलझ जाती है।
- पूर्वजन्म और पुनर्जन्म का सबसे सशक्त प्रमाण है - स्मृति। जन्म लेने वाले बच्चे को अपने पूर्व जन्म की स्मृति होती है, उसे पता चलता है कि इससे पहले भी वह था। इस स्मृति के आधार पर बहुत बड़े-बड़े अनुसंधान हुए हैं। डा. स्टीवन्सन आदि वैज्ञानिकों ने पूर्वजन्म और पुनर्जन्म की घटनाओं के अनेक तथ्य एकत्रित किये। पर यह प्रश्न होता है कि सबको पूर्वजन्म की स्मृति क्यों नहीं होती?
कान्चूंग ने स्मृति का विश्लेषण करते हुए कहा “जन्म से पूर्व बच्चे में पूर्वजन्म की स्मृति होती है किन्तु जन्म के समय इतनी भयंकर यातना से गुजरना पड़ता है कि उसकी सारी स्मृति नष्ट हो जाती है, विलुप्त हो जाती है। अतः सबको स्मृति नहीं रहती। कुछ लोगों को अपवाद स्वरूप होती है।
दूसरा प्रमाण है प्लेंचेट का, इसके अन्तर्गत मृतात्माओं को आह्वान किया जाता है और उनके साथ सम्पर्क स्थापित किया जाता है। इससे पूर्वजन्म और पुनर्जन्म दोनों सिद्ध होते हैं।
तीसरा प्रमाण है माध्यम का - कुछ व्यक्ति मृत आत्माओं के अवतरण में सहज माध्यम होते हैं। उनके माध्यम से दूसरे व्यक्ति अपने सम्बन्धी मृत आत्माओं से बातचीत करते हैं।
___ चौथा प्रमाण है - सूक्ष्म-शरीर के फोटो का - वैज्ञानिक किरलियान दंपति ने एक विशेष प्रकार की फोटो पद्धति का आविष्कार किया, उसके द्वारा सूक्ष्म शरीर के फोटो लिये गये। सूक्ष्म शरीर अत्यन्त सूक्ष्म परमाणुओं से बने होते हैं। मनोविज्ञान इन्हें न्यूत्रिलोन कहते हैं। ये कण कोरे कणों के रूप में देखे नहीं जाते, जब दूसरे कणों के साथ संघर्ष होता है, तब ये कण पकड़ में आते हैं। (सूक्ष्म शरीर के द्वारा विचित्र प्रकार की घटनाएँ घटित होती हैं जिसे तैजस या कार्मण शरीर कहा जाता है।) सूक्ष्म शरीर मृत्यु के समय
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