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________________ असुरकुमार 6. वातकुमार नाग कुमार 7. स्तनित कुमार विद्युत कुमार 8. , उदधिकुमार सुवर्णकुमार 9. द्वीप कुमार अग्नि कुमार 10. दिक् कुमार' व्यन्तर निकाय - ये देव तीनों लोकों में रहते हैं, गिरि, कन्दरा, गुफा, वृक्ष, श्मशान, आदि स्थानों में रहते हैं। इनके आठ प्रकार हैं - 1. किन्नर 2. किम्पुरुष 3. महोरग गन्धर्व यक्ष राक्षस 7. भूत, और पिशाच ज्योतिष्कदेव - ज्योतिषी देव मेरुपर्वत के समतल भूमि भाग से 790 योजन की .. ऊँचाई से शुरू होने वाले ज्योतिश्चक्र में रहते हैं। यह ज्योतिश्चक्र वहाँ से 110 योजन परिमाण पर्यन्त है। ज्योतिष्क देवों के पाँच प्रकार हैं - सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र व प्रकीर्ण तारे। वैमानिक देव - ज्योतिष्चक्र से ऊपर असंख्यात योजन की ऊंचाई के अन्तर पर उत्तरोत्तर एक-दूसरे के ऊपर अवस्थित विमानों में रहते हैं। वैमानिक देवनिकाय के दो भेद हैं - कल्पातीत 1. कल्पोपन्न कल्पोपन्न के 12 भेद हैं - 1. सौधर्म 7. 8. महाशुक्र सहस्रार 2. ईशान 3. सनत्कुमार आनत् ' (क) तत्त्वार्थसूत्र, 4/11 (ख) भवणवई दसविहा पण्णता, प्रज्ञापना, प्रथम पद, देवाधिकार (क) तत्त्वार्थसूत्र, 4/12 (ख) प्रज्ञापना, प्रथम पद, देवाधिकार ' तत्त्वार्थसूत्र, 4/13 411 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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