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________________ योगदर्शन में स्पष्ट रुप से बताया है - कर्माशय रुपी वृक्ष के दो प्रकार के फल पैदा होते हैं - कडवे और मीठे। जब मनुष्य स्वार्थ तजकर अन्य प्राणियों के कल्याण हेतु परोपकार की भावना से काम करता है तो उन कर्मों के अनुसार जाति, आयु, भोग पाकर सुख पाता है, यही फल मीठे हैं, और जो मनुष्य दूसरे प्राणियों को स्वार्थवश काम, क्रोध, लोभ, मोह से दुःख देने की मनोवृत्ति रखता है, उसे उन कर्मों के अनुकूल पशु, पक्षी, मनुष्य आदि योनि, आयु, भोग पाकरदुःख भोगता है। यही कडवे फल हैं। यह पुण्य-पाप ही है।' वैशेषिक दर्शन में बताया है कि मनुष्य जो कर्म करता है उससे संस्कार और भोग की उत्पत्ति होती है। कर्म के अनुसार उत्पन्न संस्कार ही भोग के समय सुख या दुःख की अनुभूति करता है। अच्छे आचरण वाले को श्रेष्ठ फल मिलेगा, और बुरे आचरण वाले को दुःख मिलेगा। यदि ऊसर भूमि में बीज बोया जाये तो अन्न उत्पन्न नहीं हो सकता। जैसा बीज बोया जायेगा, वैसा ही अन्न उत्पन्न होगा। सुपात्रदान से पुण्य तथा हिंसादि से पापकर्म का उपार्जन होता है। न्यायदर्शन में तीन कार्य बताते हुए स्पष्ट किया है - शारीरिक कार्य, वाचिककार्य तथा मानसिक कार्य। जिस कार्य का कर्म का फल सुखरुप हो, वह पुण्य कर्म है और जिसका फल दुःख रुप हो, वह पापकर्म है।' गीता में पुण्य-पाप की अवधारणा गीता के अनुसार कर्म तीन प्रकार के हैं - 1. कर्म, 2. विकर्म, 3. अकर्म। 1. कर्म - फल की इच्छा से जो शुभ कर्म किये जाते हैं, उसका नाम कर्म है। 2. विकर्म - समस्त अशुभ कर्म जो वासनाओं की पूर्ति के लिए किये जाते हैं, उन्हें विकर्म कहा गया है। गीता में कहा गया है - जो तप मूढ़तापूर्वक हठ से मन, वाणी, शरीर को पीड़ासहित अथवा दूसरे का अनिष्ट करने के विचार से किया जाता है, वे तामस कहलाते हैं, जिन्हें विकर्म कहा जाता है। ' योगदर्शन, श्री राम शर्मा, पृ. 149 १ वैशेषिक दर्शन, श्री राम शर्मा, पृ. 154 'न्याय दर्शन, श्री राम शर्मा, पृ. 33 379 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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