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________________ उदाहरण प्रस्तुत किये है, जिन्होंने अपने पूर्वजन्म में पापकर्म उपार्जित किये थे, फलस्वरुप विविध दुःखों का सामना करना पड़ा। सूत्रकृतांगसूत्र में पुण्य-पाप के अस्तित्व के सम्बन्ध में अन्यतीर्थिकों का पूर्वपक्ष प्रस्तुत करके स्वपक्ष को सिद्ध किया है कई अन्यतीर्थिकों का कथन है कि इस जगत में पुण्य नाम का कोई पदार्थ नहीं है, एकमात्र पाप ही है। पाप कम हो जाने पर सुख उत्पन्न होता है वृद्धि हो जाने पर दुःख होता है। दूसरे दार्शनिक कहते है जगत में पाप नाम का कोई पदार्थ नहीं है, एकमात्र तब दुःख उत्पन्न होता है। और घट जाने पर सुख होता पुण्य ही है, पुण्य घट जाता है, है । तीसरे मतवादी कहते हैं --- पुण्य की विचित्रता, नियति, स्वभावकाल आदि के कारण होती है । - Jain Education International - पाप दोनों ही पदार्थ मिथ्या है, क्योंकि जगत् सूत्रकार ने इसका समाधान किया है कि ये सभी दर्शनिक भ्रम में है, पुण्य और पाप दोनों का नियत सम्बन्ध हैं, एक का अस्तित्व मानने पर दूसरे का अस्तित्व मानना ही पड़ेगा। यदि सब कुछ नियति या स्वभाव से होने लगे तब कोई व्यक्ति सत्कार्य में प्रवृत्त क्यों होगा? किसी को अपने द्वारा कृत शुभाशुभ क्रिया का फल भी प्राप्त नहीं होगा, परन्तु ऐसा होता नहीं है, शुभ कर्म तथा अशुभ कर्म फल दोनों भिन्न-भिन्न रूप से दृष्टिगत होते है, अतः पुण्य-पाप का स्वतंत्र अस्तित्व व फलभोग मानना ठीक है । ' पुण्य और पाप बन्ध के रूप में : पुण्य और पाप के फलभोग व अस्तित्व की चर्चा कर लेने पर यह सिद्ध है कि ये दोनों आसव में परिगणित है, किन्तु जैन दार्शनिकों ने पुण्य-पाप को बन्ध तत्त्व में समाविष्ट किया हैं, क्योंकि कर्मों के आश्रव होने पर वे जीव के साथ बन्ध जाते हैं तभी वे फलभोग दे सकते हैं, अन्यथा नहीं । सूत्रकृतांगसूत्र, श्रुत 2, अध्य. 5, गाया 16 नत्थि पुण्णे पावे वा णेव सन्नं निवेसए । अस्थि पुण्णे व पावे वा, एव सन्नं निवेसए । विवेचन हेमचन्द्र जी मा.सा., पृ. 319 - 370 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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