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________________ ग्यारह अंगों में प्रथम अंग आचारांग है, वैसे ही बारह उपांगों में प्रथम उपांग औपपातिक सूत्र है, इस प्रकार व्यवस्था की गई है। औपपातिकसूत्र प्राचीन जैन साहित्य का प्रथम उपांग है औपपातिकसूत्र । इसके दो अध्याय हैं। प्रथम समवशरण और द्वितीय उपपात । देव और नारकों के उपपात सिद्धगमन का वर्णन होने से प्रस्तुत आगम का नाम औपपातिक है । ' जन्म अथवा चम्पानगरी, राजा कुणिक व तत्कालीन राज्य व्यवस्था, कला ऋद्धि सिद्धि तथा वनखण्ड के वर्णन आदि की दृष्टि से यह आगम अन्य आगमों के लिए संदर्भ स्वरुप माना गया है। भगवान महावीर के संपूर्ण शरीर का शब्दचित्र इस आलंकारिक दृष्टि से वर्णित है कि जितने भी उत्प्रेक्षा, रुपक, उपमा, प्रभृति, अलंकार हैं वे इस वर्णन के सामने निस्तेज प्रतीत होते हैं । वानप्रस्थ एवं परिव्राजक परम्पराओं का उल्लेख इस आगम में विस्तार से किया गया है। इसमें अम्बड़परिव्राजक की श्रावकधर्म की साधना, उनकी अरिहन्त देव के प्रति दृढ़ता का वर्णन तथा अन्त में समाधिमरण के द्वारा ब्रह्मदेवलोक में उत्पति का वर्णन किया गया है । उपपात के साथ केवलीसमुद्घात का विस्तृत वर्णन करते हुए सिद्ध अवस्था का विवेचन करते हुए श्रमण जीवन और स्थविर जीवन का सार संक्षेप बताया है। इस प्रकार यह आगम ज्ञान - दर्शन, चारित्र एवं तपस्वी साधकों के लिए मननीय एवं आचरणीय है । राजप्रश्नीयसत्र यह प्रश्नोत्तर शैली में निबद्ध कथा प्रधान आगम है । सूत्रकृतांग सूत्र का उपांग सिद्ध करते हुए आचार्य मलयगिरी लिखा कि सूत्रकृतांग में क्रियावादी,, आत्मा को मानने वाले, अक्रियावादी, आत्मा के अस्तित्व को न मानने वाले, के जो मत हैं उनमें से अक्रियावादी के रूप में राजा प्रदेशी ने केशी श्रमण से प्रश्न किये हैं इसलिए इसका नाम "राजप्रश्नीय" सूत्र है । 2 - 1 औपपातिकसूत्र, अभयदेववृत्ति, उद्धृत - जिनवाणी (जैनागम विशेषांक), वही, पृ. 246 2 जैन आगम साहित्य मनन और मीमांसा, आचार्य देवेन्द्रमुनि, वही, पृ. 207 Jain Education International 20 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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