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________________ 3. बन्धन किसे बताया है? और 4. इसे कैसे तोड़ा जा सकता है?' इस तरह दार्शनिक विचारधारा को आध्यात्मिक साधना के साथ जोड़कर जीवात्मा को सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। वास्तव में ज्ञान, दर्शन और चारित्र रूप त्रिरत्न समन्वित रूप में मोक्ष के अवरोधक कर्मबन्धनों से मुक्ति पाने का एक मात्र सफल उपाय है। इस उपाय को आत्मसात् करने पर ही कर्मबन्धन से मुक्ति सम्भव है। स्थानांग सूत्र ___ यह स्थानांग सूत्र जैन संस्कृति का विश्वकोष है, इसमें एक स्थान से लेकर दस स्थान तक जीव, पुद्गल आदि की बहुविध स्थितियाँ वर्णित है। इसमें इतिहास, गणित, भूगोल, खगोल, दर्शन, आचार, परा मनोविज्ञान आदि शताधिक विषय संकलित है। इस सूत्र की सर्वाधिक विशेषता यह है कि इसमें चारों अनुयोगों का समावेश है। इसमें द्रव्यानुयोग की दृष्टि से 426 सूत्र है। विभिन्न कथाओं के संकेत एवं संक्षिप्त उल्लेख भी प्राप्त होते हैं, जिससे इसमें कथानुयोग की झलक भी मिलती है। इस सूत्र के 10 अध्ययन हैं और एक ही श्रुतस्कन्ध है। संग्रहनय की अपेक्षा जीव चैतन्यगुण है। व्यवहारनय की दृष्टि से प्रत्येक जीव अलग-अलग है। इसमें ज्ञान और दर्शन की दृष्टि से भी जीव तत्त्व का विभाजन किया है। पर्याय की दृष्टि से एक ही तत्त्व अनन्त अवस्थाओं में परिणत हो जाता है। इस प्रकार स्थानांग में संख्या की दृष्टि से जीव-अजीव प्रभृति द्रव्यों का मूलस्पर्शी विवेचन उपलब्ध है। इस सूत्र में एक विषय का दूसरे विषय के साथ किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं है। प्रत्येक विषय का विस्तार से विवेचन करने की अपेक्षा संख्या के आधार पर विषयों का संकलन किया गया है। इसमें कोष की शैली अपनाई गई है। स्थानांगसूत्र में मानवीय स्वभाव का परिचय देने वाले सूत्र सर्वाधिक है। कहीं वृक्षों से, कहीं वस्त्रों से, कहीं पक्षी, फल, बादल, कुम्भ आदि से समानता करते हुये शताधिक रूपों में मानवीय । सूत्रकृतांगसूत्र, गाथा 1 जैन आगम मनन और मीमांसा, देवेन्द्रमुनि, पृ. 100 - 10 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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