________________
5.
7.
9.
11.
13.
15.
17.
19.
1.
इनसे सिद्ध होता है कि
भी 7 प्रकार की शून्यता बतायी है।
2.
3.
4.
5.
6.
7.
महाशून्यता
संस्कृति शून्यता
अत्यन्त शून्यता
अनवकार शून्यता
सर्वधर्म शून्यता
अनुपलम्भ शून्यता
भाव शून्यता
स्वभाव शून्यता
लक्षण शून्यता
लक्षण ।
Jain Education International
-
6.
-
8.
10.
12.
14.
16.
18.
20.
241
परमार्थ शून्यता
असंस्कृति शून्यता
अनवराग्र शून्यता
प्रकृति शून्यता
लक्षण शून्यता
अभाव - स्वभाव शून्यता
अभाव शून्यता
परभाव शून्यता
शून्यता प्रत्येक वस्तु का खण्डन है। लंकावतार सूत्र में
प्रत्येक वस्तु का न तो कोई विशेष लक्षण है और न सामान्य
भाव - स्वभाव शून्यता
अप्रचरित शून्यता - अर्थात् कर्ता का कर्तृत्त्व शून्य है ।
प्रचरित शून्यता
अर्थात् सभी वस्तु निरात्म है।
अभिलाप शून्यता
अर्थात् प्रत्येक वस्तु निर्विकल्प है।
परमार्थ सत्य की शून्यता
वह भी शून्य है ।
अर्थात् वस्तुओं का कोई स्वभाव नहीं है ।
इतरेत्तर शून्यता
अर्थात् शून्यता सापेक्ष है, जैसे
सभाभवन में घोड़े शून्य है और घुड़शाल में श्रोतागण शून्य है।' इस प्रकार नागार्जुन ने शून्यता का जो अभिप्राय किया था, उसी का वर्णन इन प्रकारों में किया गया है।
अर्थात् प्रमाण द्वारा शून्यता की जो अनुभूति होती है,
1 भारतीय दार्शनिक निबन्ध, लेख (माध्यमिक दर्शन में शून्य की अवधारणा), डा. आनन्दप्रकाश पाण्डेय, पृ. 351
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org