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________________ पंचस्कन्धादि अवयवों के अतिरिक्त अवयवी के अगोचर होने के कारण इन अवयवों के आधार पर 'आत्मा' नाम केवल व्यवहार के लिए दिया गया है।' सांख्यदर्शन में आत्मा और शरीर की अवधारणा सांख्य दर्शन मूल तत्व दो मानता है - एक प्रकृति और दूसरा है पुरुष (आत्मा)। पुरुष की सत्ता स्वयंसिद्ध है। “मैं हूँ" 'यह मेरी लेखनी है' प्रतिदिन के इस अनुभव में 'मैं' और 'मेरी आत्मा का ही परिचय देता है। कोई भी व्यक्ति अपना अस्तित्त्व अस्वीकार नहीं कर सकता कि - 'मैं नहीं हूँ', क्योंकि अस्वीकार करने पर भी चेतन आत्मा को आवश्यकता रहती है। ___ आत्मा को शरीर से भिन्न माना गया है। शरीर भौतिक है, परन्तु आत्मा अभौतिक अर्थात् आध्यात्मिक है। आत्मा इन्द्रियों से भी भिन्न है, क्योंकि इन्द्रियाँ अनुभव के साधन है जबकि पुरुष अनुभव से परे हैं। इस प्रकार पुरुष शरीर, इन्द्रिय तथा मन से भिन्न एवं स्वतंत्र होता है। आत्मा शुद्ध चैतन्यरूप है, जो सिर्फ ज्ञाता है। आत्मा प्रकृति के घेरे से बाहर होता है, वह निष्क्रिय तथा उदासीन होता है। आत्मा में किसी भी प्रकार का विकार उत्पन्न नहीं होता। इसलिए वह अधिकारी तथा कूटस्थ नित्य तथा व्यापक होता है। शरीर, मन तथा इन्द्रियों को ही आत्मा मान लेना सरासर भूल है।' न्याय व वैशेषिक दर्शनों में आत्मा और शरीर न्याय वैशेषिकों के अनुसार आत्मा नित्य द्रव्य है, जिसमें बुद्धि, सुख, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, धर्माधर्म संस्कार आदि गुण निवास करते हैं, वह शरीर तथा इन्द्रियों से पृथक स्वतंत्र सत्ता धारण करने वाला द्रव्य है। नैयायिक व वैशेषिक शरीर, इन्द्रिय और मन से आत्मा का पृथकत्त्व सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित प्रमाण उपस्थित करते हैं - जिस वस्तु को हम आँखों से देखते हैं, उसे ही हम हाथ से छूते हैं। यदि इन्द्रियों के अनुभव में आत्मा इन्द्रिय-रूप ही होता तो वस्तु की पहचान कैसे सिद्ध की जाती? 1. ' भारतीय दर्शन, बलदेव उपाध्याय, पृ. 127 . भारतीय दर्शन, बलदेव उपाध्याय, पृ. 264 201 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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