SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्टम अध्याय पुण्य और पाप की समस्या और उसका समाधान भूमिका (पुण्य और पाप ) (क) (ख) विशेषावश्यकभाष्य में पुण्य-पाप की अवधारणा (ग) (क) (ख) (TT) (घ) (च) नवम अध्याय परलोक के अस्तित्व सम्बन्धी समस्या और उसका समाधान भूमिका Jain Education International समीक्षा समाधान जैन कर्मसिद्धान्त में पुण्य-पाप प्रकृतियों का स्वरुप 1 पुण्य और पाप आश्रव के रुप में 2 पुण्य और पाप बन्ध के रुप में अन्य दर्शनों में पुण्य-पाप की चर्चा समीक्षा विशेषावश्यकभाष्य में परलोक, स्वर्ग तथा नरक की अवधारणा 1 तार्य जी की परलोक संदर्भ में समस्या 2 3 जैन दर्शन में पुनर्जन्म सम्बन्धी चर्चा जैनेत्तर दर्शन परलोक व पुनर्जन्म संदर्भित चर्चा 1 चार्वाक दर्शन में पुनर्जन्म व परलोक 2 3 4 बौद्ध दर्शन में पुनर्जन्म व परलोक न्याय-वैशेषिक दर्शन में पुनर्जन्म व परलोक वेद-उपनिषदों में पुनर्जन्म व परलोक गीता में पुनर्जन्म व परलोक 5 6 सांख्य दर्शन में पुनर्जन्म व परलोक मौर्यपुत्र की देवलोक सम्बन्धी शंका व समाधान अकम्पित जी की नरकलोक सम्बन्धी शंका व समाधान शंका और 7 योग दर्शन में पुनर्जन्म व परलोक वैज्ञानिक दृष्टि से पुनर्जन्म व परलोक की अवधारणा आत्मा की परिणामी नित्यता समीक्षा For Private & Personal Use Only 344 348-382 348 349 359 361 370 376 380 383-434 383 385 385 396 402 406 414 415 416 419 419 423 425 426 426 429 432 www.jainelibrary.org
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy