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435-472
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दशम अध्याय विभिन्न निह्नवों और उसकी दार्शनिक स्थापनाओं की समीक्षा (क) निह्नव का स्वरुप (ख) जमालि के बहुरतवाद नामक सिद्धान्त की स्थापना और उसकी
समीक्षा (ग) तिष्यगुप्त की चरमप्रदेशी जीव की अवधारणा और समीक्षा (घ) आषाढ़भूति का अव्यक्तवाद और उसकी समीक्षा (ङ) अश्वमित्र का समुच्छेदवाद और उसकी समीक्षा (च) आर्य गंग का द्विक्रियाउपयोगवाद और उसकी समीक्षा (छ) रोहगुप्त का त्रैराशिकवाद और उसकी समीक्षा (ज) गोष्ठामाहिल का अबद्धिकवाद और उसकी समीक्षा एकादश अध्याय उपसंहार
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460 467
473-490
परिशिष्ट
491-503
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