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________________ प्रश्न उठता है कि यह विभिन्नता क्यों? "एगे आया" के अनुसार यदि आत्मा समान है तो सबका रूप एक सा होना चाहिए। इतनी विरूपता और विचित्रता क्यों? एक ही तत्व में दो विरोधी रूप नहीं होने चाहिए। यदि है तो उनमें से कोई एक ही रूप मौलिक एवं वास्तविक होना चाहिए, इससे यह प्रश्न उपस्थित होता है कि- आत्मा के किस रूप को वास्तविक माने? इस विभिन्नता - विचित्रता, विभेद और विसदृश्यता का कारण क्या है? दर्शनकारों ने अनेक कारण प्रस्तुत किये, उनमें से कतिपय निम्नानुसार है जगत् वैचित्र्य के विभिन्न कारण कालवाद अथर्ववेद के 'कालसूक्त' में काल के बारे में बताया है कि- काल ने पृथ्वी को उत्पन्न किया, काल के आधार पर सूर्य तपता है, काल के आधार पर ही समस्त भूत (जीव) रहते है, काल ही ईश्वर है, प्रजापति का पिता है। इसमें काल को सृष्टि का मूल कारण मानने का सिद्धान्त है। महाभारत में बताया है कि- विश्व के समस्त भाव, अभाव तथा सुख और दुःख कालमूलक है, यहां तक कहा गया है कि कर्म अथवा यज्ञयागादि अथवा किसी पुरुष द्वारा मनुष्यों को सुख - दुःख नहीं मिलता, किन्तु मनुष्य काल द्वारा ही सब कुछ प्राप्त करता है। काल के बिना स्वभाव - पुरुष नियति आदि कुछ भी नहीं कर सकते। व्यक्ति पुण्य या पाप कार्य करता है, परन्तु तत्काल उसका फल नहीं मिलताः । समय आने पर ही उसका अच्छा या बुरा फल मिलता है। इस प्रकार कालवाद का निरूपण है । स्वभाववाद श्वेताश्वेतर- उपनिषदों में स्वभाववाद का उल्लेख है जो कुछ होता है वह स्वभाव से ही होता है। स्वभाव के अतिरिक्त जगत् वैचित्र्य का और कोई कारण नहीं है। वह अपने समर्थन में तर्क रखता है कि- कांटों में नुकीलापन, पशु-पक्षियों में विचित्रता आदि स्वभाव से है। इसमें किसी की इच्छा या प्रयत्न का अवकाश ही नहीं है। गीता और 1 कालः स्वभावो नियतिर्यदृच्छा, भूतानि योनिः इति चिन्त्यम् संयोग एषा न स्वात्मभावात्माऽप्यनीशः सुख-दुःख है तो श्वेताश्वेतर 1/1/2 Jain Education International 134 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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