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________________ है । परन्तु उक्त दोनों ग्रन्यों का रचनाकाल पूर्णतया निर्णीत न होने के कारण इस सन्दर्भ में कुछ कहा नहीं जा सकता है। प्रो० पटवर्णन को कई अन्य ग्रन्थों की गाथाओं के साथ उद्योतन सूरि कृत कुवलयमाला को भी दो गाथायें वज्जालग्ग में मिली हैं। मैंने मेरुतुंगाचार्य प्रणीत प्रबन्धचिन्तामणि और राजशेखर सूरि सन्दृब्ध प्रबन्धकोश में भी वज्जालग्ग को अनेक गाथायें देखी हैं जो कहीं अन्यत्र से उद्धृत जान पड़ती हैं, परन्तु उनका किसी अन्य स्थान से संगृहीत होना भी संभव है। प्रो० पटवर्धन ने कुवलयमाला को उक्त दोनों गायाओं का विश्वसनीय आधार स्थान नहीं माना है। मैं उनके उद्योतन सूरि विरचित होने में सन्देह का कोई विशेष कारण नहीं देखता हूं क्योंकि कुवलयमाला कोई संग्रह-ग्रन्थ नहीं है, चम्पू-शैली में निबद्ध एक उत्कृष्ट-कृति है। कुवलयमाला का रचनाकाल ७७९ ई० है । अत: वज्जालग्ग इसके पश्चात् ही रचा गया होगा । वज्जालग्ग में भवभावना को एक गाथा मुझे उपलब्ध हुई है। भव भावना का रचनाकाल संवत् ११७० (११२३ ई०) है । यदि उक्त गाथा मलबारी हेमचन्द्र को ही ओसरसु सिसिर-णरवइ पुहई लद्धा वसंतेण ॥-लोलावई ७४४ १ यह लीलावई की सभी प्रतियों में नहीं पाई जाती है। वसन्त वज्जा में इस को संगृहित किया गया है । १. मा दोसे च्चिय गेण्हह विरले वि गुणे पयासह जगस्स । अक्ख पडरो वि उयही भण्णइ रयणायरो लोए ।। -कुवलयमाला पृ० ३ यह रयणायर वज्जा की तीसरी गाथा है। पयासह के स्थान पर पसंसह और उयही के स्थान पर उवही पाठ है । अत्थो विज्जा पुरिसत्तणाई अण्णाई प्रणसहस्साई। देवायत्ते कज्जे सव्वाई जणस्स विहडंति ।।-कुवलयमाला पृ० १२ यह गाथा दिम्ब वज्जा में है । वहाँ जणस्स के स्थान पर नरस्स पाठ है । २. जाई रूखं विज्जा तिन्नि वि निवडंतु कंदरे विवरे । अत्थो च्चिय परिवड्ढउ जेण गुणा पायडा हुंति ॥ -पृ० ५३४ कोशाम्बी विप्रकथा यह दरिद्दवज्जा में पाई जाती है । होंति के स्थान पर हुँति पाठ है। भव भावना के छन्दोबद्ध 'कोशाम्बी विप्रकथा' प्रकरण नितान्त सहज भाव से आने वाली यह गाथा कहीं से उद्धृत नहीं है, मलवारी हेमचन्द्र की हो रचना है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001736
Book TitleVajjalaggam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayvallabh, Vishwanath Pathak
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1984
Total Pages590
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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