________________ शुद्धि-पत्र पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध गवार रस 18 शुद्ध गामार रसं जिस में पठित्वा जिस पठितुं सुरो सूरो RK. annon x सीस अधिकतर सानुरागमसि निर्भरोत्कण्ठनम् निःश्वसितमिन्दिरेण हयपचमस्स पक्ष्ययुक्त पक्ष्यों 108 111 120 130 138 153 उस की अङ्गेष्वमादितः उन पसिओसं डहई गाढालिगिए कायाग्नि तदा वरावयो वह करता रहे को इस ? // 16 // सीसं अधिकतरं सानुरागोऽसि निर्भरोत्कण्ठम् निःश्वसितमिन्दिरेण हमपंचमस्स पक्ष्मयुक्त पक्ष्मों उस के अङ्गेष्वमायितः उस परिओसं डहइ गाढालिगिए कामाग्नि तहा वराक्यो हम करते रहें 154 156 *163 6. // 16 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org