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हिन्दी अनुवाद-अ. १, पा. ३
वृक्षविशेष । यहाँ ल का लोप, और द्वित्वका अभाव हैं । (७१) हिमोरं हिमोदर। यहाँ द का लोप हुआ है । (७२) अब्बा अम्बा या माँ। यहाँ अनुस्वारका लोप, और ब का द्वित्व हैं। (७३) सिप्पी सूची। यहाँ ऊ का इ और च का द्विरुक्त प (प्प) हुए हैं। (७४) बम्हा वाणी या सरस्वती। यहाँ ण का म्ह हुआ है । (७५) जच्छन्दो स्वच्छन्द । यहाँ स्व का ज हो गया है । (७६) तलारो तलवरः (यानी) पुराध्यक्ष । यहाँ व का लोप हुआ है। (७७) कुटुं कुतुक या कुतूहल । यहाँ त का लोप हुआ और क का द्विरुक्त ड (ड) हो गया है। (७८) सीसकं शिरःपत्र । यहाँ पत्रका क हुआ है। (७९) जम्बालं शैवाल । यहाँ शै का जम् हो गया है । (८०) अणुदिवं दिनमुख यानो प्रभात । अनु (यानी) अनंतर (नंतर दिवा यानी दिन)। यहाँ न का व हुआ है। (८१) सत्थरो संस्तर या शय्या । यहाँ अनुस्वारका लोप हुआ है। (८२) विड्डरं विस्तार । यहाँ स्तकारका ड्ड हो गया है । (८३) वीली वेची और (८४) वीबी (यानी लहर)। यहाँ च का ल और च का ब हुआ है। (८५) डंमिओ दाम्भिक । यहाँ द का ड हुआ है। (८६) कडप्पो कलाप (यानी) समूह । यहाँ ल का ड हुआ और पका द्वित्व हो गया है। (८७)दूसलो दुर्भग पानी अभागी। यहाँ भ और ग इनके स और ल हो गये हैं। (८८)गलं गण्ड यानी कपोल । यहाँ ड का ल हुआ है । (८९)पडिसिद्धी प्रतिस्पर्धा । यहाँ स्प का सि हुआ और आ का ई हो गया है । (९०) वढो क्ट । यहाँ ट का ढ हुआ है। (९१) डोअणो (९२) डोअलो (९३) डोलो लोचन । यहाँ ल का ह, ल और न इनके ड और ल होकर, स्वरके साथ च का लोप हो गया है। (९४) कत्थइ कचित् । यहाँ चि का य हुआ है । (९५) डेड्दुरो दर्दुर यानी दादुर । यहाँ अ का ए हुआ और दोनों दकारोका ड हो गया है । (९६) छिल्लं छिद्र । यहाँ द्र का ल हो गया है । (९७) मंजरो (९८) वंजरो मार्जार । यहाँ विकल्पसे म का व हो गया है, वक्रादिपाठमें होनेसे, अनुस्वार आ गया, और आ का म्हस्व (यानी अ) हो गया। (९९) गहरो गृध्र । यहाँ र के पूर्वमें अ
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