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________________ हिन्दी अनुवाद-अ. १, पा.२ सौन्दर्यम् । सुगन्धत्तणं सौगन्ध्यम् । दुवारिओ दौवारिकः। सुवण्णिओ सौवर्णिकः। पुलोमी पौलोमी । इत्यादि ॥ ९७ ॥ गव्यउदाईत् ॥ ९८ ।। गो शब्दमें एच् (संयुक्त स्वर) को अउ और आई ऐसे ये आदेश होते हैं। उदा.-गउओ हरस्स । एसा गाई ॥ ९८ ॥ ऊ स्तेने वा ॥ ९९ ॥ स्तेन शब्दमें संध्यक्षरका ऊ विकल्पसे होता है । उदा.-थूणो थेणो सोच्छ्वासे ।। १०० ॥ __ सोच्छ्वास शब्दमें एच् (संयुक्त स्वर) का ऊ होता है। यह नियम (१.२.९९ से) पृथक् कहा जानेसे, यहाँ विकल्प नहीं होता। उदा.-सूसासो ॥ १०. ।। ऐच एङ् ।। १०१ ॥ ऐच् यानी ऐकार और औकार; उनके एङ् यानी एकार और ओकार यथाक्रम होते हैं। उदा.-ऐ (का ए)-शैलः सेलो । त्रैलोक्यम् तेल्लोकं । ऐरावणः एरावणो । कैलासः केलासो। वैद्यः वेजो। कैटभः केटवो। वैधव्यम् वेहव्वं । औ (का ओ)-कौमुदी कोमुई । यौवनम् जोव्वर्ण । कौस्तुभः कोत्थुहो । कौशाम्बी कोसम्बी । क्रौञ्चः कोंचो। कौशिकः कोसिओ ।। १०१॥ अइ तु वैरादौ ।। १०२ ॥ ___(इस सूत्रमें १.२.१०१ से) ऐचः पदकी अनुवृत्ति है। वैर, इत्यादि शब्दोंमें आद्य ऐच् को अइ ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-वैरम् वइरं वरं । वैशंपायनः वइसंपाअणों वेसंपाअणो। वैशिकम् वइसिअं वेसि। वैश्रवणः वइसवणो वेसवणो । चैत्रः चइत्तो चेत्तो। कैलासः कइलासो केलासो। वैतालिकः वइआलिओ वेआलिओ। कैरवम् क इरवं केरवं । दैवम् दइवं देवं। इत्यादि । १०२ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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