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हिन्दी अनुबाद
-अ. १, पा. २
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है | उदा.- दूसहो दुसहो दुःसहः । दूहओ दुहबो दुर्भगः । रेफ का लोप होनेपर, ऐसा क्यों कहा है ? (कारण रेफ का लोप न हो तो यह वर्णान्तर नहीं होता ।) उदा. -- दुस्सहो विरहो ।। ६२ ॥
सुभगमुसलयोः || ६३ ॥
(इस सूत्र में १.२.६१ से ) ऊत् शब्दकी अनुवृत्ति है । सुभग और मूसल शब्दों में उ का ऊ विकल्पसे होता है | उदा. - सूहओ सुहओ सुभगः । मूसलं मुसलं मुसलम् ॥ ६३ ॥
हचौत्कुतूहले || ६४ ॥
कुतूहल शब्द में आद्य उ का ओ होता है, और उस (ओ) के सानिध्य से (तूमेंसे) ऊ का हस्व होता है । उदा. - कोउहलं कुऊहलं कोउहल्लं कुतूहलम् || ६४ ॥
स्तौ ॥ ६५ ॥
( इस सूत्र में १.२.६४ से ) ओत् शब्दकी अनुवृत्ति है । स्तु यानी संयुक्त व्यंजन आगे होनेपर, आद्य उ का ओ होता है । उदा. - तुण्डम् तोण्डं । पुष्करम् पोक्खरं । कुट्टिमम् कोट्टिमं । पुस्तकम् पोत्थअं । मुस्ता मोत्था । मुद्गरः मोग्गरो । पुद्गलः पोग्गलो । कुन्दम् कोन्दं । व्युत्क्रान्तम् वोक्कन्तं ॥ ६५ ॥ सूक्ष्मे ऽद्वतः ॥ ६६ ॥
सूक्ष्म शब्द में ऊ का अ विकल्पसे होता है । उदा -सहं सुहं ॥ ६६॥ अल दुकूले ॥ ६७ ॥
(इस सूत्रमें १.२.६६ से) ऊतः पदकी अनुवृत्ति है। दुकूल शब्द में ऊ को अलू ऐसा आदेश होता है । अल में लकार अनुबंध (इत् ) नहीं है । उदा.दुअलं दुऊलं ॥ ६७ ॥
ईदुद्वयूढे ।। ६८ ।।
उद्वयूढ शब्द में ऊ का ई विकल्पसे होता है । उदा. - उब्वीढं उब्बूढं
॥ ६८ ॥
त्रिवि. प्रा. व्या....३
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