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________________ हिन्दी अनुबाद -अ. १, पा. २ ३३ है | उदा.- दूसहो दुसहो दुःसहः । दूहओ दुहबो दुर्भगः । रेफ का लोप होनेपर, ऐसा क्यों कहा है ? (कारण रेफ का लोप न हो तो यह वर्णान्तर नहीं होता ।) उदा. -- दुस्सहो विरहो ।। ६२ ॥ सुभगमुसलयोः || ६३ ॥ (इस सूत्र में १.२.६१ से ) ऊत् शब्दकी अनुवृत्ति है । सुभग और मूसल शब्दों में उ का ऊ विकल्पसे होता है | उदा. - सूहओ सुहओ सुभगः । मूसलं मुसलं मुसलम् ॥ ६३ ॥ हचौत्कुतूहले || ६४ ॥ कुतूहल शब्द में आद्य उ का ओ होता है, और उस (ओ) के सानिध्य से (तूमेंसे) ऊ का हस्व होता है । उदा. - कोउहलं कुऊहलं कोउहल्लं कुतूहलम् || ६४ ॥ स्तौ ॥ ६५ ॥ ( इस सूत्र में १.२.६४ से ) ओत् शब्दकी अनुवृत्ति है । स्तु यानी संयुक्त व्यंजन आगे होनेपर, आद्य उ का ओ होता है । उदा. - तुण्डम् तोण्डं । पुष्करम् पोक्खरं । कुट्टिमम् कोट्टिमं । पुस्तकम् पोत्थअं । मुस्ता मोत्था । मुद्गरः मोग्गरो । पुद्गलः पोग्गलो । कुन्दम् कोन्दं । व्युत्क्रान्तम् वोक्कन्तं ॥ ६५ ॥ सूक्ष्मे ऽद्वतः ॥ ६६ ॥ सूक्ष्म शब्द में ऊ का अ विकल्पसे होता है । उदा -सहं सुहं ॥ ६६॥ अल दुकूले ॥ ६७ ॥ (इस सूत्रमें १.२.६६ से) ऊतः पदकी अनुवृत्ति है। दुकूल शब्द में ऊ को अलू ऐसा आदेश होता है । अल में लकार अनुबंध (इत् ) नहीं है । उदा.दुअलं दुऊलं ॥ ६७ ॥ ईदुद्वयूढे ।। ६८ ।। उद्वयूढ शब्द में ऊ का ई विकल्पसे होता है । उदा. - उब्वीढं उब्बूढं ॥ ६८ ॥ त्रिवि. प्रा. व्या....३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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