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हिन्दी अनुवाद म. ३, पा.
( चूडकर्णीभविष्यति मुग्धे कपोले निहितः । वासानज्वालादग्धो बाण्यसलिलसंसिक्तः ॥ ) हे सुंदरी, कपोलपर रखा, श्वासरूपी अग्निके ज्वालासे तप्त, अश्रुजलसे भीगा कंगन (स्त्रयंही) चूर चूर हो जाता है ।
हिअर खुडुक्कर गोरडी गयणि घुडुक्कर मे ।
वासारत्तपवासु अहं विसमा संकडु एहु ।। १५८ ।। (हे. ३९५.४ ) ( हृदये खुट् शब्दं करोति गौरी गगने घडघडायते मेघः । वर्षात्रिप्रवासिनां विषमं संकटमेतत् ॥ )
पुतें जाएं कणु गुणु अवगुणु कवणु मुरण ।
जा बप्पीकी मुंहडी चंपिज्जइ अवरेण ।। १५९ ॥
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हृदयमें सुंदरी खुट् शब्द करती है; गगन में बादल घडघड (शब्द) करते हैं । वर्षाकी रात में प्रवासियों के लिए यह बडा संकट है । अम्मि पओहर वज्जमा [२६] ।
और
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( पुत्रेण जातेन को गुणोऽवगुणः को मृतेन । यत् पैतृक भूमिराक्रम्यतेऽपरेण ॥ )
यदि बापकी भूमि (संपत्ति) दूसरेके द्वारा चाप ( अपहृत कर) डी जाय तो पुत्र होनेसे क्या लाभ ? और उसके मरनेसे क्या हानि ? तं तेतिउँ जल सायर हों सो तेवडु वित्थारु |
तिसरेँ निवारणु पलु वि न वि पर घुटुअइ असारु ॥ १६० ॥
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( = हे. ३९५.३ )
( = हे. ३९५.७ )
( तत् तावज्जलं सागरस्य स तावान् विस्तारः । तृषाया' निवारणं पलमपि मैव परं शब्दायतेऽसारः ॥ ) सागरका वह उतना पानी और वह उतना विस्तार । पर तृषाका थोडा भी निवारण नहीं होता । वह व्यर्थ धू धू करता है ।
क्रि.वि... २९
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