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हिन्दी अनुवाद-अ. ३, पा. ३
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(अपने प्रियकरके ऊपर) स्वामिका प्रसाद, सलज्ज प्रियकर, सीमासंधिपर वास और (प्रियकरका) बाहुबल देखकर (सुखी) सुंदरी निश्वास छोडती है।
इसी प्रकार बाहुबलुल्ल, इत्यादि । डीतः स्त्रियाम् ॥ ३१ ॥
अपभ्रंशमें स्त्रीलिंगमें रहनेवाली संज्ञाके आगे, इससे पूर्व दो सूत्रों में (३.३.२९-३०) कहे गए प्रत्ययोंके आगे डी प्रत्यय होता है ॥ ३१ ॥
उदा.पहिआ दिट्ठी गोरडी दिट्ठी मग्गु निअंत । अंसूसासें कंचुअंतिंतुवाण करंत ॥ ५१॥ (=हे. ४३१.१) (पथिक दृष्टा गौरी दृष्टा मार्ग पश्यन्ती। अश्रच्छ्वासैः कञ्चुकं तिमितोद्वातं कुर्वती।।)
(एक पथिक दूसरे पथिकसे अपनी प्रियाके बारेमें पूछता है)-'हे पथिक, (मेरी) प्रिया (तुमसे) देखी गई ?' (दूसरा उत्तर करता है)'(तेरा) रास्ता देखनेवाली तथा ऑसू और उच्छ्वास इनसे कंचुकको गीला करती और सुखाती हुई देखी गई। अदन्ताड्डा ।। ३२ ॥
अपभ्रंशमें अ, डड, डुल्ल इनमेंसे जो अकारान्त प्रत्यय हैं, उनसे अन्त पानेवाली, स्त्रीलिंगमें रहनेवाली, संज्ञाको डा प्रत्यय लगता है। डी (प्रत्यय लगता है इस) नियमका (३.३.३१) प्रस्तुत नियम अपवाद है ॥३२॥ पिउ आगअउ पत्तहों झुणि कण्णडइ पइट्ठ। तहा विरहहाँ नासंतहा धूलडिआ वि न दिट्ठ ॥५२॥ (=हे. ४३२.१)
(प्रियः आगतः प्राप्तस्य ध्वनिः कर्णे प्रविष्टः । तस्य विरहस्य नश्यतः धूलिरपि न दृष्टा ।)
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