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हिन्दी अनुवाद-अ. ३, पा.२ 'दिही मिथः से' (१.१.१८) इस सूत्रसे 'दस्तस्य शौरसेन्यामखावचोऽस्तोः ' (३.२.१) सूत्रतक जो सूत्र और उनमें जो उदाहरण कहे गए हैं, वे उसी अवस्था ही शौरसेनीमें होते हैं, ऐसा विभाग प्रतिसूत्रके बारेमें देखें। उदा.-अन्तावेई। जुबईजणो। मणसिला। इत्यादि ॥ २६॥ मागध्यां शौरसेनीवत् ॥ २७ ॥
(इस सूत्रमें ३.२.२६ से) शेषम् पद (अध्याहृत) है। मागधीमें जो (होता है ऐसा) कहा जाएगा, उसके अतिरिक्त अन्य, शौरसेनीकी तरह होता है,ऐसा समझें। (अभिप्राय यह-) 'दस्तस्य शौरसेन्यामखावचोऽस्तोः' (३.२.१) सूत्रानुसार-विशदु आउत्ते शामिपशादाअ । 'अधः क्वचित्' (३. २.२) सूत्रानुसार-अले किं एशे महन्दे कलकले, किमेष महान् कलकलः । 'तावति खोवी' (३.२.३) सूत्रानुसार-मालेध वा मुंचेध वा, अयं दाव से आगमे। 'थो घः' (३.२.४) सूत्रानुसार-अले कुम्भीलआ कधेहि । 'इहहचोर्हस्य' (३.२.५) सूत्रानुसार ओशलध अय्या ओशल्ध। 'भुवो भः' (३.२.६) सूत्रानुसार-भोदि । 'अन्त्यादिदेति मोणः'[३.२.७] सूत्रानुसारजुत्तं णिम। शलिशं णिमं । 'यों य्यः' [३.२.८] सूत्रानुसार अय्य एशे खु कुमाले मलअकेदू । 'पूर्वस्य पुरवः' [३.२.९] सूत्रानुसार-एशे अपुलवे । 'इअदूणौ क्त्वः' [३.२.१०] सूत्रानुसार-किं खु शोहणे बम्हणे त्ति कलिअ लज्जा पदिग्गहे दिण्णे। 'कृगमोर्डदुः' [३.२.११] सूत्रानुसार-व दुअ । गदुअ। 'इदानीमो ल्दाणि' [३.२.१२] सूत्रानुसार-शुणध दाणिं। हगे शक्कावदालतित्थवाशी धीवले। 'तस्मात्ता' [३.२.१३] सूत्रानुसार-ता जाव उवविशामि। ‘ण नन्वर्थे' [३.२.१४] सूत्रानुसार-णं अवशलोवशप्पणीआ लाआणो शुणीअन्ते। 'अम्महे हर्षे' [३.२.१५] सूत्रानुसारअम्महे एदाए उम्मिलाए शुपलिघडिदे भवं । 'हीही वैदूषके' [३.२.१६] सत्रानुसार-हीही कोशम्बाणअरी एशा। 'हीमाणहे निवदविस्मये' [३.२.१७ सूत्रानुसार, निर्वेदके लिए उदाहरण, विक्रान्तभीम (नाटक)में
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