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त्रिविक्रम-प्राकृत-व्याकरण
रचेडिविड्डावहोग्गहाः ॥ १३ ॥
'रचि प्रतियत्ने' मेंसे रच् धातुको विडविड्ड, अवह, उग्गह, ऐसे तीन आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा.-विडविड्डइ। अवहइ। उग्गहइ। (विकल्पपक्षमें)रअ॥ ४३ ॥ केवलाअसारवसमारोवहत्थाः समारचेः ।। ४४ ॥
___ सभारच (समारचि) धातुको केवटाअ, सारव, समार, उवहत्थ ऐसे चार आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा.-केवलाअइ । सारवइ । समारइ। उवहत्या । (विकल्पपक्षमें)-समारअइ ।। ४४ ।। मस्जेराउडुणिउड्डबुड्डखुप्पाः ॥ ४५ ॥
'टुमस्जी शुद्धो मेंसे मस्ज् धातुको आउड्ड, णिउड्ड, बुड्ड, खुप्प ऐसे चार आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-आउड्डइ। णिउड्डइ । बुड्डइ । खुम्पद। (विकल्पपक्षमें)-मज्जइ ॥ ४५ ॥ अनुव्रजतेः पडिअग्गः॥ ४६ ।।
'ज गतौ'मॅसे ब्रज धातुके पीछे अनु (उपसर्ग) होनेपर,उसको पडिअग्ग ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-पडिअग्गइ । (विकल्पपक्षमें)-अणुवअइ
वञ्चेर्वेहववेलवजूरबोम्मच्छाः ॥ ४७ ॥
वञ्चति धातुको वेहव, वेलव, जूरव, उम्मच्छ ऐसे चार आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-वेहवइ। वेलवइ । जूरवइ । उम्मच्छइ । (विकल्पपक्षमें) वञ्चइ
रोसाणोवुसलुहलुच्छपुच्छफुसफुस्सघसहुला मार्टः ॥ ४८ ॥
___'मृजू शुद्धौ'से मृज् धातुको रोसाण, उबुस, लुह, लुच्छ, पुच्छ, फुस, फुस्स, घस, हुल ऐसे नौ आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा. रोसाणइ। उबुसाइ । लुहइ। लुच्छइ । पुच्छइ । फुसइ फुस्सइ । घसइ । हुलइ । विकल्पपक्षम-मज्जइ ॥ ४८ ॥ भञ्जर्वेमअमुसुमूरमूरपविरज्जसूरसूडकरजनिरञ्जविराः ।। ४९ ॥ - 'भजी आमदने से भञ्ज् धातुको वेम अ, मुसुमुर, मुर, पमिरज, सूर, सड, करञ्ज, निरञ्ज, विर ऐसे नौ आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा. वेगसइ ।
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