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हिन्दी अनुवाद-अ. ३, पा. १
ओहरौसराववतरेस्तु ॥ ३६ ।।
_ 'तृ प्लवनतरणयोः'मेंसे तु धातुके पीछे अव (उपसर्ग) होनेपर, उसके ओहर, ओसर ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा. ओहरइ। औसर । (यहाँ) तु का अधिकार होनेपरभी, (सूत्रमें) पुनः तु कहनेका कारण तु) अधिकारका स्मरण हो ॥ ३६ ॥ शकेस्तरतीरपारचआः ।। ३७ ।।
'शक्ल शक्ती'मसे शक् धातुको तर, तीर, पार और चअ ऐसे चार आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा.-तर३ | तीरइ। पारइ । चअइ । विकल्पपक्ष सक। तरति धातुकाभी तरङ् (ऐसा रूप होता है)। 'तीर पार कर्मसमाप्त भेसे तीर
और पार इन धातुओंकेभी (रूप) ती इ, पारइ (प्स होते हैं)। त्यज् (त्यजि) धातुकाभी चअइ (ऐसा रूप होता है) ॥ ३७ ॥ सोल्लपडल्लो परेः ॥ ३८ ।।
___ 'डुपच पाके मेंस पच् धातुको सोल्ल, पउल्ल एसे आदेश विकल्पसे होते है। उदा.-सोल्लइ । पउल्लइ । विकल्पपक्षमें-पअइ ॥ ३८ ॥ वेअडः खः ।। ३९ ।।
खचति धातुको वेअड ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-वेअडइ। विकल्परक्षमें-खअ !॥ ३९॥ णिबलो मुचे?ःखे ।। ४० ।।
'मुच्ल मोक्षणे' मेंसे मुच् धातुको दुःख विषयमें णिब्बल ऐसा आदेशः विकल्पसे होता है। उदा.-णिब्बट इ, दुःखं मुश्च ति, एसा अर्थ ॥ ४० ॥ अवहेडमेल्लणिल्लुञ्छोसिक्कदिसडरेअवछण्डाः ।। ४१ ।।
(इस सत्र में ३.१.४० से) मुचेः पदकी अनुवृत्ति है। मुञ्चति धातुको अवहेड, मेल्ल, जिल्लुञ्छ, उसिक, दिसड, रेअव, छण्ड ऐसे सात आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा.-अवहेडइ । मेल्लइ । जिल्लञ्इ । उसिक्का। दिसडइ । रेअवइ । छण्डइ । विकल्पपक्षम-मुअइ ।। ४१ ॥ सिञ्चसिप्पो सिचेः ।। ४२ ।।
सिञ्चति धातुको सिञ्च, सिप्प ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.सिञ्चइ । सिप्पइ । (विकल्पपक्षमें)-सेअइ॥ ४२ ॥
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