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________________ हिन्दी अनुवाद- -अ. २, पा. २ निशिशिङ् जश्शसोः ॥ ३१ ॥ (इस सूत्र में २.२.३० से ) नप: पदकी अनुवृत्ति है । नपुंसकलिंगशब्द के आगे आनेवाले जंसू और शस इन प्रत्ययोंको शू अनुबंध होनेवाले श्नि, शिं और शिड् ऐसे तीन आदेश प्राप्त होते हैं । शकार दीर्घके लिए है । ङकार सानुनासिक उच्चार के लिए है । उदा. वणाणि वणाई वणाँई । गुणाणि गुणाई गुणाइँ चिट्ठन्ति पेच्छ बा । इसी तरह दहि, महु, बिन्दु, इत्यादि शब्दों के बारेमें । नपुंसकलिंग (शब्द) के आगेही ऐसे आदेश होते हैं (अन्यथा नहीं ) | उदा.-वच्छा ॥ ३१ ॥ शोशु स्त्रियां तु || ३२ ।। " (इस सूत्र में २.२.३१ से) जसू और शस् पद (अध्याहृत ) हैं । स्त्रीलिंगमें होनेवाले संज्ञाके आगे जस और शस् ये (प्रत्यय) शित् ओ और उ विकल्पसे होते हैं । (शू इत् होनेसे, पूर्व स्वर दीर्घ होता है) । उदा.मालाओ मालाउ । बुद्धीओ बुद्धीउ । इसी तरह सही घेणु, वहू, इत्यादि शब्दों के बारेमें । विकल्पपक्ष में- माला | बुद्धी । सही । घेणू । वहू | स्त्रीलिंग में (होनेबाले), ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण अन्य लिंगमें ऐसा नहीं होता) । उदा . - वच्छा । जसु और शस्, ऐसा क्यों कहा है ? (कारण - इतर प्रत्ययों के ऐसे विकार नहीं होते) । उदा. -मालाए कअं ।। ३२ ॥ आदीतः सोश्च ।। ३३ ॥ (इस सूत्र में २.२.३२ से) स्त्रियां पदकी अनुवृत्ति है । होनेवाले ईकारान्त संज्ञाके आगे सु (प्रत्यय) का तथा सूत्रमेंसे कारण जस् और शस् (प्रत्ययों) का आ विकल्पसे होता है । इसन्तीआ । जस् और शस्- गोरीआ रोहन्ति पेध्छ वा । इसन्तीओ। गोरीओ ॥ ३३ ॥ Jain Education International ૨૦ For Private & Personal Use Only स्त्रीलिंग में चकार के उदा. - एसा विकल्पपक्ष में www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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