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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा.....
पंचम अध्याय........{348}
सास्वादन गुणस्थान में बन्धहेतु का चित्र
क्रमांक
बन्ध हेतु संख्या योग | वेद
वै.मि.में नपुंसक वेद का अभाव
युगल
कषाय
भय जुगुप्सा
अविरति
कायवध
कुलभंग /विकल्प
छः कायवध सहित, १६ बन्धहेतु | १३x | ३%
३= | ३६-१
Ix२ ।
x0
१५२०
२
२/छः कायवध तथा|१ जुगुप्सा सहित १६/ १३x
बन्धहेतु
१ ३% | ३६-१]x२ |
१५२०
19
| १३x | ३% | ३६-१]x२ |
x४ | ४६ | x५
x
|३| पांच कायवध भय तथा जुगुप्सा सहित १६ बन्धहेतु
x१ | १२०
कुल भंग
१२१६०
छः कायवध भय | तथा जुगुप्सा सहित १७
|१३x | ३3 | ३६-१]x२ | बन्धहेतु
x४ | x१ | x४
१ १x१ |
| १५२०
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