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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
पंचम अध्याय........{346}
सास्वादन गुणस्थान में बन्धहेतु का चित्र
क्रमांक
बन्ध हेतु संख्या योग
वेद
वै.मि में नपुंसक वेद का अभाव
युगल
कायवध
अविरति
कुलभंग भय जुगुप्सा
/विकल्प
।
|| पांच कायवध
सहित १४ बन्धहेतु
| .
३६-१
.
६१२०
चार कायवध तथा भय सहित १४ बन्धहेतु
| १३x
३3
२२८००
३चार कायवध तथा १ १ जुगुप्सा सहित १४ | १३x | ३=
बन्धहेतु
| ३६-१
|
x४ | x१५ | x५ /
२२८००
तीन कायवध भय तथा जुगुप्सा १ । सहित १४ | १३x | ३% बन्धहेतु
x२० |
x५ |x१
३०४००
कुल भंग |८५१२०
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