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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
पंचम अध्याय........{345}
सास्वादन गुणस्थान में बन्धहेतु का चित्र
क्रमांक
बन्ध हेतु संख्या | योग | वेद |
बन्ध हेतु संख्या
योग | वेद
नपुंसकवेद में वै.मि. काययोग
का अभाव
युगल
कषाय
कायवध
अविरति
जुगुप्सा कुलमंग
/विकल्प
.
१
३६-१
चार कायवध सहित १३ बन्धहेतु
३८
।
२२८००
तीन कायवध तथा| १ | १ भय सहित १३ | १३४ | ३%
बन्धहेतु
३६-१
| xix | ४x | २० | ५x |
|
३०४००
३
| १
तीन कायवध तथा जुगुप्सा सहित १३ बन्धहेतु
| ३६-१ | ३८
४२ |
४ | २० |
-
x१
३०४००
४ दो कायवध भय
तथा जुगुप्सा | १३ | ३3 सहित १३ बन्धहेतु|
३८
४२ |
x४ | x१५
४५
x१ |x |
२२८००
। कुल मंग
१०६४००
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