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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
पंचम अध्याय........{342}
मिथ्यात्व गुणस्थान में बन्ध हेतु
क्रमांक
बन्ध हेतु संख्या
मिथ्यात्व
कायवध
कषाय
युगल
वेद
" अविरति
याग
जुगुप्सा
कुलभंग /विकल्प
.
#
x
|9xxx | २x | ३x
१३x
- |७८००
छ: कायवध अनन्ता. तथा भया सहित १७ बन्ध हेतु
छ:कायवध अनन्ता. तथा जुगुप्सा सहित १५
बन्ध हेतु
" |
x | ५x |१
|४x | Rx | ३x
१३x
१-७८००
छः कायवध भय तथा जुगुप्सा सहित १ १ १७ बन्ध हेतु | ५ | ५x/9x |४x | २x | ३x | १०x |-१x१६०००
छ: कायवध अनन्ता. भय तथा १ । १ जुगुप्सा सहित १५ x | x|६x |४x | २४ | ३x | १३x |-१४ १ |४६८००
बन्ध हेतु छः कायवध अनन्ता. भय तथा
१३x | -१x१-७८०० जुगुप्सा सहित १८
बन्ध हेतु
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