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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
पंचम अध्याय........{341}
मिथ्यात्व गुणस्थान में बन्ध हेतु
क्रमांक
बन्ध हेतु संख्या
| मिथ्यात्व
|कायवध
" | कायवध
कषाय
की
जुगुप्सा
कुलभंग
।
छ: कायवध तथा अनन्ता सहित १६
बन्ध हेतु
।
५x9x |४x
२x
|
३x
१३
-
७५००
छ: कायवध तथा भय सहित १६
१ ६ ३ बन्ध हेतु |x | xxxx
*" |
।
२ | २४
x
| ३
| १०x
६०००
| छः कायवध तथा
जुगुप्सा सहित | १६ बन्ध हेतु
x | xxxx | २x |
६०००
पांच कायवध अनन्ता. तथा भय सहित १६ बन्धहेत
x ]
x|६x |४x | २x
| ३४
| १३x
-१
|४६८००
पांच कायवध
अनन्ता. तथा जुगुप्सा सहित १६
५x | ५|६x |४x | Rx | ३x | १३x |- | १-४६८०० बन्धहेतु पांच कायवध
भय तथा जुगुप्सा सहित
| x x ६x |४x | २x | ३x | १०x |-9x १-३६००० १६ बन्धहेतु
२
१
चार कायवध अनन्ता. भय तथा जुगुप्सा सहित १६
बन्ध हेतु
५x | ५x |१५x sx | २x | ३x | १३x |-१x१- ११७०००
कुलभंग
२६६४०००
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