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* आशीर्वचन *
आत्मिय, प्रिय, सरल, सौम्य, अध्ययन प्रिय, मधुर कंठी साध्वी प्रियवंदनाश्रीजी ने जिनका जीवन संयम से सुशोभित है, समत्व योग ग्रंथ लिखकर आम जनता को समत्व का परिचय कराया है। इस शोध प्रबंध में उन्होंने श्रुत साधना का यथार्थ परिचय दिया है। विद्वद्वर्य, प्रज्ञावंत, आगम प्रिय डॉ. सागरमलजी जैन का विशेष सहयोग एवं सहकार मिला। आप युग-युग तक शासन सेवा करें।
मैं देव गुरु से प्रार्थना करती हूँ कि यह कृति पाठकगणों के लिए प्रेरणारूप बने। साहित्य का सृजन करते हुवे आप मानव कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करती रहें, स्वयं समत्व भावों की साधना करें, मुक्ति विलय का वरण करें, यही अन्तर शुभाशीष।
- साध्वी सुलक्षणाश्री
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