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________________ जैनदर्शन का त्रिविध साधनामार्ग और समत्वयोग १२७ (५) यथाख्यात चारित्र।२६७ इन पांचों चारित्रों के परिपालन का मुख्य लक्ष्य तो व्यक्ति का कषायों से ऊपर उठना ही है। जैन परम्परा में कषाएँ चार मानी गई हैं : १. क्रोध; २. मान; ३. माया; और ४. लोभ । यह कहा गया है कि कषायों से मुक्ति ही वास्तविक अर्थ में मुक्ति है। अतः उपरोक्त पांचों चारित्र का सम्बन्ध मूल में तो कषायों से मुक्ति का ही रहा हुआ है। पांचों प्रकार के चारित्र कषायों के विगलन की तरतमता को ही सूचित करते हैं। कषायों का मूलभूत कारण राग-द्वेष है। राग-द्वेष के कारण ही कषायों का जन्म होता है। अतः राग-द्वेष से ऊपर उठने की प्रक्रिया को ही सामायिक चारित्र कहते हैं। वस्तुतः सामायिक चारित्र का परिपालन समत्वयोग की साधना का आधार है; क्योंकि साधना का मूलभूत लक्ष्य वीतरागता की उपलब्धि है और वीतरागता की उपलब्धि राग-द्वेष से ऊपर उठने से ही सम्भव है। अतः राग-द्वेष से ऊपर उठना ही सामायिक चारित्र की साधना है। समभाव में स्थित रहने के लिए समस्त अशुद्ध प्रवृत्तियों का त्याग ही सामायिक चारित्र है।६८ उत्तराध्ययनसत्र की टीकाओं में राग-द्वेष या विक्षोभ से रहित होकर सभी प्रकार की पाप प्रवृत्तियों से निवृत्त होना ही सामायिक चारित्र है।६६ मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी यह सत्य है कि राग-द्वेष के तत्व हमारी चेतना के समत्व को भंग करते हैं; किन्तु उसमें भी मूल तत्व तो राग ही है। राग के कारण ही द्वेष का जन्म होता है। जहाँ राग है वहाँ व्यक्त या अव्यक्त रूप में द्वेष रहा हुआ है। द्वेष का जन्म राग से ही होता है और फिर ये राग-द्वेष के तत्व ही क्रोध, मान, माया और लोभ रूप कषायों को जन्म देते २६७ 'समाइयत्थ पढमं छेदोवट्ठावणं भवे बीयं । परिहारविसुद्धीयं सुहुमं तह संपरायं च ।। ३२ ।। अकसायं अहक्खायं छउमत्थस्स जिणस्स वा । एवं चयरित्तकरं चारित्तं होइ आहियं ।। ३३ ।।' २६८ तत्वार्थसूत्र १/१८ । २६६ उत्तराध्ययन टीका पत्र २८१७ । -उत्तराध्ययनसूत्र अध्ययन २८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001732
Book TitleJain Darshan me Samatvayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyvandanashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Yoga, & Principle
File Size7 MB
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