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________________ अलंकारचिन्तामणि हृतिका स्वरूप और उसके भेद १५३, आरोप्याह्नव और अपह्नवारोपके उदाहरण १५४, छलादि शब्दों द्वारा असत्य प्रलाप-कैतवापह्नतिका उदाहरण १५४, उल्लेखालंकारका स्वरूप १५४, उल्लेखका उदाहरण १५४, श्लेषयोगजन्य उल्लेखका उदाहरण १५५, उत्प्रेक्षालंकारका स्वरूप १५५, उदाहरण १५६, जातिफलोत्प्रेक्षाका उदाहरण १५६, जात्यभाव फलोत्प्रेक्षाका उदाहरण १५७, क्रियास्वरूपगा उत्प्रेक्षाका उदाहरण १५७, क्रियास्वरूपता उत्प्रेक्षाका उदाहरण १५७, क्रियाहेतृत्प्रेक्षाका उदाहरण १५७, क्रियाफलोत्प्रेक्षाका उदाहरण १५८, क्रियाभावफलोत्प्रेक्षाका उदाहरण १५८, गुणस्वरूपगा उत्प्रेक्षाका उदाहरण १५८, अतिशयोक्ति अलंकारका स्वरूप १५८, अतिशयोक्तिके भेद १५९, भेदमें अभेद वर्णनारूप अतिशयोक्तिका उदाहरण १५९, अभेदमें भेद वर्णनारूप अतिशयोक्तिका उदाहरण १५९, सम्बन्धमें असम्बन्ध वर्णनारूप अतिशयोक्तिका उदाहरण १६०, असम्बन्ध में सम्बन्ध वर्णनारूप अतिशयोक्तिका उदाहरण १६१, अन्य उदाहरण १६१, कार्यकारणभावनियम विपर्यय-वर्णनारूप अतिशयोक्तिका स्वरूप १६२, उदाहरण १६२, सहोक्तिका स्वरूप १६२, सहोक्ति अलंकारके भेद १६३, प्रथम भेदका उदा. हरण १६३, द्वितीय भेदका उदाहरण १६३, विनोक्ति का स्वरूप और भेद १६४, अरम्यता या अशोभन-विनोक्तिका उदाहरण १६४, रम्यताविशिष्टशोभन विनोक्तिका उदाहरण १६४, समासोक्ति अलंकारका स्वरूप १६५, भेद १६५, श्लिष्टविशेषणसाम्या समासोक्तिका उदाहरण १६५, समासोक्तिका उदाहरण १६६, वक्रोक्ति अलंकारका स्वरूप १६७, वक्रोक्तिका उदाहरण १६७, स्वभावोक्ति अलंकारका स्वरूप १६७, उदाहरण १६८, व्याजोक्ति अलंकारका स्वरूप १६८, उदाहरण १६८, मीलनालंकारका स्वरूप १६९, सहजवस्तुसे आगन्तुकका तिरोधानरूप मीलनका उदाहरण १६९, आगन्तुकसे सहज तिरोधानका लक्षण १७०, सामान्यालंकारका स्वरूप १७०, सामान्य अलंकारका उदाहरण १७०, तद्गुण अलंकारका स्वरूप १७१, तद्गुण अलंकारका उदा. हरण १७१, अतद्गुणका लक्षण १७२, उदाहरण १७२, विरोधके भेद १७२, जातिसे जातिका विरोधाभास १७३, जातिसे क्रियाका विरोधाभास १७३, जातिका गुणसे विरोधाभास १७३, जातिका द्रव्यके साथ विरोधाभास १७४, अनिश्चय क्रिया विरोधका उदाहरण १७४, गुणसे क्रियाका विरोध १७४, द्रव्यके साथ क्रियाका विरोधाभास १७५, गुणके साथ क्रियाका विरोध १७५, द्रव्यसे गुणका विरोध १७५, द्रव्यसे द्रव्यका विरोध १७५, विशेष अलंकारका स्वरूप और भेद १७६, प्रथम विशेषका लक्षण एवं उदाहरण १७६, द्वितीय विशेषका लक्षण एवं उदाहरण १७६, तृतीय विशेषका स्वरूप एवं उदाहरण १७७, अधिक अलंकारका स्वरूप और भेद १७७, आधेयकी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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