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________________ २७३ -१७१] पञ्चमः परिच्छेदः अनतिप्रौढसंदर्भा मृदुलार्थेऽपि मध्यमा। कौशिकी विपरीतातो' मध्यमारभटी यथा ॥१६९॥ ईषत्प्रौढरचना अतिसुकुमारयोः शृंगारकरुणयोर्न दुष्यति किन्त्वतिकठिनरचना मध्यमारभटी। अतिप्रौढयोरपि रौद्रवीभत्सयोरल्पसुकुमारसंदर्भो न दुष्यति । किन्त्वतिमृदुरचना विरुध्यते । मध्यकौशिकी यथा सखीसभायां चतुरङ्गकेलौ चुचुम्ब संरक्षितुमादृतस्य । यस्य याच्याकपटेन कामो मुहुर्मुहुः स्मेरमुखी कपोले ॥१७०॥ मध्यमारभटी यथा यस्यासिधाराविनिपातभीतास्त्यजन्तु पद्माकरसंगमानि । विमुक्तवन्तः किल राजहंसाः स्वमुत्तराशाश्रितमानसं च ॥१७॥ मध्यमा आरमटी और मध्यमा कौशिकीका म्वरूप कोमल अर्थ होनेपर भी साधारण सन्दर्भवाली रचनाको मध्यमा कौशिकी कहते है और ठीक इसके विपरीत स्वरूपवाली वृत्तिको मध्यमा आरभटी कहा जाता है ॥१६९।। __अति सुकुमार शृंगार और करुण रस में कुछ साधारण प्रौढ़ रचना दूषित नहीं होती, किन्तु अत्यन्त कठोर रचना मध्यमा आरभटीमें दूषित होती है । अत्यन्त प्रौढ़ रौद्र और वीभत्स रसमें भी सुकुमार रचना दूषित नहीं मानी जाती, किन्तु अत्यन्त कोमल रचना दूषित मानी जाती है । मध्यमा कौशिकीका उदाहरण विजयके लिए यत्नपूर्वक संरक्षित घोड़ेके मांगने के व्याजसे किसी कामी पुरुषने शतरंज खेलने के समय सखियोंके बीच में बैठी हुई और मन्द-मन्द मुसकराहटसे विकसित मुखवाली प्रेयसीके गालपर बार-बार चुम्बन किया ॥१७०॥ मध्यमा आरमटीका उदाहरण जिस विजिगीषु चक्रवर्तीकी तलवार-वृष्टिसे भयभीत बड़े-बड़े राजाओंने भविष्यमें होनेवाली उन्नतिसे उत्साहित मन और धनको उसी प्रकार छोड़ दिया जैसे अत्यधिक वृष्टिके होनेके भयसे राजहंस कमलोंसे युक्त तालाबों और उत्तर दिशामें स्थित मानसरोवर आदिको छोड़ देते हैं ॥१७१।। १. विपरीता तु- ख। २. दुष्यतीत्यनन्तरम्-कप्रती प्रौढेऽप्यर्थेऽल्पमृदुरचना मध्यमारभटी । खप्रती तु दुष्यतीत्यनन्तरं किन्त्वतिकठिनरचना विरुध्यते। प्रोढेऽप्यर्थेऽल्पमृदुरचनामध्यमारभटी, अतिप्रौढयोरपि...। ३. मध्यमकैशिकी यथा ख । ४. याज्ञातपटेन कामि....ख। ३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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