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________________ १५१ -१३० ] चतुर्थः परिच्छेदः सुराः किरीटरत्नांशुनिवहेन जिनेशिनः । पुष्पाञ्जलिं विधायाशु प्रणमन्ति पदद्वयम् ॥१२७॥ अत्र आरोपविषयकुसुमाञ्जलिरूपेणारोप्यमुकुटमण्यंशुगणस्य वैयधि- करण्येन परिणतिः ॥ समासोक्त रारोप्यस्य प्रकृतोपयोगित्वेऽप्यवाच्यत्वान्नान्तर्भावः परिणामे । स्यातां विषयतद्वन्तौ 'सन्देहविषयौ कवेः । सादश्यात्सन्मताद्यत्र संदेहालंकृतिमता ॥१२८॥ शद्धा निश्चयगर्भा च निश्चयान्त्येति सा विधा। शुद्धा यथा च संदेहमात्रपर्यवसायिनी ॥१२९।। किमेष सिन्धुः परमो गभीरः किमेष कल्पद्ररभीष्टदायी। किमेष मेरुः कनकाङ्गरम्यः प्रजाभिरित्थं स पुरुः सुदृष्टः ।।१३०॥ देवगण मुकुटके रत्नोंकी किरणोंके समूहसे पुष्पांजलिका विधानकर तुरन्त जिनेश्वरके दोनों चरणोंको प्रणाम करते हैं ॥१२७॥ यहाँ आरोप विषय कुसुमांजलिरूपसे आरोप्य मुकुटमणिके अंशु समूहकी वैयधिकरण्यरूपसे परिणति हुई है। समासोक्ति अलंकारमें आरोप्य प्रकृतमें आरोप होने पर भी प्रतीयमान होनेके कारण अवाच्य होनेसे परिणामालंकारमें समासोक्ति अलंकारमें अन्तर्भाव नहीं होता है। सन्देहालंकार-- जिसमें सज्जनोंसे अभिमत सादृश्यके कारण विषय और विषयीमें कविको सन्देह प्रतीत हो तो उसे सन्देहालंकार कहते हैं ॥१२८॥ __ आशय यह है कि किसी वस्तुको देखकर जहाँ साम्य के कारण दूसरी वस्तुका संशय हो जाता है, पर निश्चय नहीं होता; वहाँ सन्देहालंकार होता है। किम्, कथम् जैसे शब्दोंका व्यवहार भी पाया जाता है । सन्देहालंकारके भेद (१) शुद्धा (२) निश्चयगर्भा और (३) निश्चयान्ता इन तीन भेदोंके कारण सन्देहालंकृति तीन प्रकारकी होती है । केवल सन्देहमें समाप्त होनेवाली सन्देहालंकृतिको शुद्धा सन्देहालंकृति कहते हैं ॥१२९॥ शुद्धा सन्देहालंकृतिका उदारहण क्या यह अत्यन्त गम्भीर समुद्र है ? क्या यह सम्पूर्ण अभिमत वस्तुओंको देनेवाला कल्पवृक्ष है ? क्या यह सुवर्णके समान देह कान्तिवाला मेरु है, इस प्रकार महाराज पुरुदेव प्रजाके द्वारा देखे गये ॥१३०॥ १. सन्देहविषयम् -ख । २. निश्चयान्तेति च विधा-ख । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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