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________________ प्रस्ताव ७ : धनवाहन और अकलंक २१५ अभी आनन्द नामक संवत्सर (वर्ष) चल रहा है, शरद् ऋतु है, कार्तिक मास की द्वितीया तिथि है, गुरुवार है, भद्रा है, कृत्तिका नक्षत्र है, वृषभ राशि है, धतियोग है, लग्न सौम्य घर का है, उर्ध्वमुखी होरा कुण्डली है,* सभी ग्रह उच्च स्थान में बैठे हैं, सभी पाप ग्रह ११वें घर में बैठे हैं। हे राजन् ! कुमार का ऐसी सुन्दर राशि में जन्म हुआ है कि उसे समस्त प्रकार की अपार संपत्ति प्राप्त होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है । [७-१३] राजा-आर्य ! राशियाँ कितने प्रकार की होती हैं और प्रत्येक के क्या-क्या गुण-दोष हैं ? मैं सुनना चाहता हूँ। सिद्धार्थ-देव ! सुनिये:-राशियाँ १२ प्रकार की होती हैं । उनके नाम मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धन, मकर, कुम्भ और मीन हैं । प्रत्येक राशि के गुण इस प्रकार हैं : १. मेष- इस राशि में जन्मे व्यक्ति की आँखें चपल होती हैं, झपकती रहती हैं, रोगरहित रहता है, धर्म कार्य में कृतनिश्चय होता है, जांघे विशाल होती हैं, कृतज्ञ होता है, पराक्रमी होता है, राजपूजित होता है, कामिनियों के हृदय को आनन्दित करने वाला होता है, पानी से निरन्तर डरने वाला होता है, आवेश से कार्यारम्भ करने वाला और अन्त में नरम पड़ने वाला होता है। इसका १८वें या २५वें वर्ष में दुर्घटना से कुमरण होता है। यदि इस घात से बच जाय तो वह सौ वर्ष तक जीवित रहता है। मंगलवार चतुर्दशी की अर्धरात्रि में कृत्तिका नक्षत्र में इसकी मृत्यु होती है । [१४-१७) २. वृषभ-- इस राशि में जन्मा व्यक्ति निम्न गुणों से युक्त होता है :-वह भोगी होता है, दानी होता है, पवित्र होता है, दक्ष/प्रवीण होता है । इसका गण्डस्थल स्थूल होता है, महाबली होता है, तेजस्वी होता है, अधिक रागासक्त होता है, कण्ठरोगी होता है, इसके पुत्र अच्छे होते हैं, चाल में विलासिता झलकती है, सत्यवक्ता होता है, इसके कन्धे और गण्डस्थल पर चिह्न होते हैं । यदि २५ वर्ष तक कोई दुर्घटना न हो तो वह १०० वर्ष तक जीवित रहता है । बुधवार, रोहिणी नक्षत्र में किसी चौपाये पशु द्वारा इसकी मृत्यु होती है । [१८-२०] ३. मिथुन- इस राशि में जन्मे व्यक्ति का शरीर पुष्ट, आँखें चञ्चल, मन विषय भोग में अत्यन्त आसक्त, धनवान, दयावान, लोकप्रिय, कण्ठरोगी, गायन एवं नाट्यकला में कुशल, कीर्तिमान, अधिक गुणवाला, गौरवर्ण, लम्बा और वाककुशल होता है। १६वें वर्ष में पानी में डूब कर मरने का भय रहता है । इससे बच जाय तो ८० वें वर्ष में पौष माह में पानी या अग्नि से मृत्यु होती है। [२१-२३] ४. कर्क-- इस राशि में जन्मा हा कार्यकुशल, धनवान, वीर, धर्मिष्ठ, गुरुवत्सल, सिरदर्दवाला, बुद्धिशाली, दुबला, कृतज्ञ, यात्रा-प्रिय, क्रोधी, बचपन में * पृष्ठ ६०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001725
Book TitleUpmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Original Sutra AuthorSiddharshi Gani
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1985
Total Pages1222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size23 MB
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