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________________ उपमिति-भव-प्रपंच कथा __इधर विमलमानस नगर में शुभाभिप्राय नामक राजा राज्य करता था जिसके एक चारुदर्शना धिषणा नाम की पुत्री थी। यह पुत्री जब युवावस्था को प्राप्त हुई तब स्वयंवर रचाया गया, जिसमें उसने बुधकुमार का वरण किया। पश्चात् उसके पिता ने बड़ी धूमधाम से बुधकुमार के साथ उस धिषणा का लग्न कर दिया । बुध और धिषणा को अनेक मनोरथों के पश्चात् काल-पूर्ण होने पर एक सर्वगुणसम्पन्न अति रूपवान विचार नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। [३६८-३७०] १८. घ्राण परिचय : भुजंगता के खेल नासिका महागुफा ___ अन्यदा बुधकुमार और मन्द अपने क्षेत्र में क्रीड़ा कर रहे थे उस समय अकस्मात एक आकर्षक विचित्र घटना घटित हुई । इस घटना का वर्णन प्राप सुनें । जिस क्षेत्र में बुध और मन्द क्रीड़ा कर रहे थे उस क्षेत्र के किनारे उन्होंने ललाटपट्ट नामक एक मनोहर, विशाल श्रेष्ठ पर्वत देखा। उस पर्वत पर एक अत्युच्च शिखर था, जिस पर एक मनोरम कबरी नामक झाड़ी थी। ऐसा लगता था मानों उसके चारों ओर भ्रमरों के झुण्ड बैठे हों। ऐसे मनोरम पर्वत और वनशोभा को देखकर उन दोनों का मन पर्वत को निकट से देखने का हो गया और वे उस तरफ चल पड़े। वे बढ़ ही रहे थे कि उन्होंने पर्वत की तलहटी में सुदीर्घ शिलाओं द्वारा निर्मित * नासिका नामक लम्बी महा गुफा देखी। यह महा गुफा दूर से इतनी रमणीय लग रही थी कि वे दोनों इसे देखने का लालच नहीं छोड़ सके । वे दोनों प्रसन्न होकर गुफा की तरफ चलने लगे। पास जाकर उन्होंने देखा कि गुफा के मुख पर दो बड़े-बड़े अपवरक (कक्ष) हैं। कमरों के द्वार पर खड़े रहकर उन्होंने देखा कि गुफा बहुत गहरी है और उसके भीतर गहन अन्धकार है। अन्धेरा इतना गहरा था कि तेज दृष्टि वाला भी कुछ न देख सके और न यह जान सके कि गुफा कितनी लम्बी होगी। [३७१-३७८] गुफा के पास आकर मन्द बोला- देखो इस गुफा में दो बड़े-बड़े द्वार हैं, लगता है किसी बड़े शिलाखण्ड से नासिका महा गुफा के दो भाग किये गये हैं। • पृष्ठ ५२७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001725
Book TitleUpmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Original Sutra AuthorSiddharshi Gani
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1985
Total Pages1222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size23 MB
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