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प्रस्ताव ५ : प्रतिबोध-योजना
चारों तरफ बांध दिये गये । एक कृत्रिम नदी भवन के मध्य में बनाई गई जिसमें कपूर आदि सुगन्धी पदार्थों से गमकता पानी निरन्तर बहता ही रहे । चन्दन और कपूर के पानी से चारों तरफ मिट्टी गीली की गई और दीवारों पर चारों तरफ सुगन्धी बेलें, कमलनाल के तन्तु और नालों से भिन्न-भिन्न विभाग बना कर हिमभवन तैयार करवाया गया । ग्रीष्म ऋतु के ताप को दूर करने और शीत ऋतु का सुखदायी वातावरण उत्पन्न करने वाले इस हिमभवन में शिशिर ऋतु के नव पल्लव के समान सुन्दर रंग-बिरंगे पलंग और ठंडे तथा सुखकारी सुकोमल आसनों की व्यवस्था की गई । हिमभवन के तैयार हो जाने पर विमल अपने बन्धुत्रों, मित्रों एवं लोक समुदाय के साथ उसमें प्रविष्ट हुआ । विमल और उसके साथ प्राये जन-समुदाय पर चन्दन का लेप किया गया, कर्पूर की पराग से ढक दिया गया, सुगन्धी लोध्र फूलों की मालाओं से मण्डित कर दिया गया, मोगरा पुष्पों से अलंकृत किया गया और सारे शरीर पर बड़े-बड़े मोतियों की मालायें अथवा मोती के फूलों की मालायें पहनाई गईं । सबको पतले और कोमल (मुलायम) वस्त्र पहनाये गये, मानों सुगन्धित शीतल झिरमिर वर्षा हो रही हो ऐसे शीतल सुगन्धी पंखों से सब को पवन किया गया । सब को रसमय और सात्विक आहार करवाया गया, सुगन्धित पान खिलाये गये और मनोहारी मधुर एवं अस्पष्ट गीतों से सबको प्रमुदित किया गया । अंगुली आदि के इशारों से प्रवर्तित सुन्दर विविध प्रकार के नृत्यों से श्रानन्दित किया गया । सुन्दर चेष्टायें करती हुई मनोहारिणी विलासिनी स्त्रियों के कमलपत्र जैसे चपल नेत्रों की पंक्तियों के अवलोकन से कुमार सहित समस्त लोगों के हृदयों को अत्यन्त उल्लसित करते हुए ऐसा दृश्य उपस्थित कर दिया गया कि मानो कुमार सहित सभी लोग स्पष्टतः रतिसागर में डूब गये हों । अपने माता-पिता को अत्यधिक प्रमुदित करने के लिये कुमार ने ऐसी योजना बनाई कि सभी लोगों को अपनी आत्मा से भी अधिक वाह्य सुख प्राप्त हो और उसके माता-पिता को भी अतीव प्रसन्नता हो । पूर्वोक्त राजाज्ञा के अनुसार इस कार्य के लिये नियुक्त राजकीय पुरुषों द्वारा सभी दुःखी प्राणियों को इस हिमभवन में लाया जाता, उनके सब दुःख दूर किये जाते और उन्हें सुखी / प्रानन्दित बनाने के लिये सब प्रकार की अनुकूलता का प्रबन्ध किया जाता । युवराज विमल अपने पिता धवल राजा को यों सर्व प्रकार से संतुष्ट कर रहा था । पुत्र को इस प्रकार सुखसागर में डुबकी लगाते देखकर राजा ने नगर में आनन्दोत्सव मनाया और सम्पूर्ण प्रजा को हर्ष हो ऐसे आनन्द के साधनों की रचना करवाकर नया त्यौहार पैदा कर दिया । [ -१]
दीन-दुःखी की खोज
धवल राजा और महादेवी कमलसुन्दरी संतुष्ट हुए और समस्त प्रजाजन एवं मंत्रीमण्डल भी प्रमुदित हुए, क्योंकि उनकी धारणा के विपरीत उन्हें युवराज
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