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________________ उपमिति-भव-प्रपंच कथा आपके पास अपनी पुत्री का सम्बन्ध राजकुमार नदिवर्धन से करने के उद्देश्य से यहाँ भेजा है। अतः अब आप इस विषय में अपनी प्राज्ञा प्रदान करें। स्फुटवचन का प्रस्ताव सुनकर मेरे पिताजी ने मतिधन मंत्री के मुख की ओर देखा। मत्री ने कहा-'महाराज ! अरिदमन तो वास्तव में एक प्रभावशाली महान व्यक्ति हैं। उनका आपके साथ सम्बन्ध हो यह योग्य ही है। अतः मेरी भी यही राय है कि आप स्फुटवचन के प्रस्ताव को स्वीकार करें। इस प्रस्ताव में तो विरोध का प्रश्न ही नहीं है।' मंत्री की राय जानकर पिताजी ने सम्बन्ध स्वीकार कर लिया। रंग में भंग इसी बीच मैंने पूछा-हे स्फुटवचन ! यहाँ से तुम्हारा शार्दूलपुर कितनी स्फुटवचन-कुमार ! हमारा शार्दूलपुर यहाँ से १५० योजन दूर है। नन्दिवर्धन-यह गलत है, तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिये । स्फुट वचन- तब कितना दूर है ? प्राप श्रीमान् ही कहें। नन्दिवर्धन-१५० योजन में दो कोस कम । स्फुटवचन-आपके पास इसका क्या प्रमाण है। नन्दिवर्धन-मैं जब छोटा था तब मैंने ऐसा सुना था। स्फुटवचन- इस विषय में आपने सम्यक् प्रकार से जानकारी प्राप्त नहीं की है श्रीमान् ! नन्दिवर्धन- इसका तुम्हारे पास क्या प्रमाण है ? स्फूटवचन-मैंने अपने कदमों से नापकर गणना की है। नन्दिवर्धन-मैंने भी विश्वसनीय लोगों से यह पता लगाया है, अतः मेरा कथन सच्चा है और तुम्हारा झूठा है । स्फुटवचन-कुमार श्री! अवश्य ही आपको किसी ने ठगा हैं । मैंने स्वयं जो नाप किया है उसमें तिल-तुष के त्रिभाग का भी अन्तर नहीं आ सकता । पुण्योदय का पलायन यह दुरात्मा (हरामखोर) राज्य सभा में लोगों के समक्ष मुझे झूठा बता रहा है, ऐसा विचार मेरे मन में आते ही वैश्वानर भभक उठा, हिंसा देवी थोड़ी हंसकर मुझ पर अपनी योग-शक्ति चलाने लगी और तुरन्त ही ये दोनों मेरे शरीर में प्रविष्ट हुए जिससे मैं प्रलयाग्नि के समान प्रचण्ड हो गया । (मेरा शरीर क्रोध से लाल हो गया, आँखों से चिनगारियाँ निकलने लगीं और शरीर कांपने लगा)। मैंने तत्क्षण सूर्य किरण जैसी चमचमाती विकराल तलवार को म्यान से खींच लिया। * पृष्ठ २७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001725
Book TitleUpmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Original Sutra AuthorSiddharshi Gani
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1985
Total Pages1222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size23 MB
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