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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥ ते पछी जलाशयना द्वारना उंबरा, स्तंभ, भित्ति, द्वारनी छत, आंगणादिकनी प्रतिष्टा ग्रह प्रतिष्ठामां कहेल ते ते मंत्रो वडे करवी. | प्रतिष्ठा करतां पहेलां जलाशयनी पासे प्रतिष्ठा सूचक यूप 'यज्ञस्तंभ' ना “ॐ स्थिरायै नमः" आ मंत्र बडे स्थापना करवी. बापना करवा. बावडी, कुवा, तलाव, बहेळा-नहेर-झरणा-तलावडी, स्त्रोत धर्मादा जलाशय-कारणिक जलाशय, आदि कोइ पण जलाशयनी प्रतिष्ठा | उक्तविधिथी करावी. ॥ इति जलाशय प्रतिष्ठा विधि । ॥ अष्टोत्तरी शतस्नात्र विधिः ॥ इतिकल्याणकलिका-प्रतिष्ठा पद्धतावयम् । विधानाख्योऽगमत् खण्डो, द्वितीयः परिपूर्णताम् ॥ आ प्रमाणे कल्याणकलिका प्रतिष्टा पद्धतिमां आ विधि खंड नामक बीजो खंड समाप्त थयो. इति तपागच्छाचार्य-श्रीविजयसिद्धिसूरिनिगदानुसारि-संविग्नश्रमणावतंसश्रीकेसरविजयशिष्यपं० कल्याणविजयगणि-विरचितायां कल्याणकलिकाप्रतिष्ठापद्धतौ विधिनामा द्वितीयखण्डः समाप्तः । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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