SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 532
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ अष्टोत्तरी N ॥ कल्याणकलिका. खं०२॥ शतस्नात्र विधिः ॥ यदधिष्ठिताः प्रतिष्ठाः, सर्वाः सर्वास्पदेषु नन्दन्ति । जिनपरिवारं सा विशतु, देवता सुप्रतिष्ठमिदम् ॥१२॥ १ नोकार गणी बेसी नमुत्थुणं० जावंति चेइआई० नमो० स्तवन - ओमिति नमो भगवओ, अरिहंतसिद्धायरिय उवज्झाय । वरसब्बसाहुमुणिसंघ-धम्मतित्थप्पवयणस्स ॥१॥ सप्पणव नमो तह, भगवईइ सुअदेवयाए सुहयाए । सिवसंतिदेवयाणं सिवपवयणदेवयाणं च ॥२॥ इंदागणिजमनेरइअ-वरुणवाउकुबेर ईसाणा । बंभो नागुत्ति दसण्ह-मविअ सुदिसाण पालाणम् ॥३॥ सोमयमवरुणवेसमण-वासवाणं तहेव पंचण्डं । तह लोगपालयाणं, सूराइगहाणय णवण्हं ॥४॥ साहतस्ससमक्खं मज्झमिणं चेव धम्मणुट्ठाणं । सिद्धिमविग्धं गच्छउ, जिणाइ नवकारओ धणिअं ॥५॥ ए पछी परिकरने आडो पडदो बांधी अंदरथी सर्वजणने दूर करी लग्ननो शुभ समय आवतां नीचेना मंत्रो बोली परिकरना ते ते अंगो उपर त्रण त्रण वार सूरिमंत्राभिमंत्रित वासक्षेप करवो - ॐ ह्रीँ श्री अप्रतिचक्रे धर्मचक्राय नमः । आ मंत्रथी धर्मचक्र उपर. ॐ घृणि चन्द्रां ऐं क्षौँ ठः ठः क्षाँ क्षी सर्वग्रहेभ्यो नमः । आ मंत्रथी ग्रहो उपर. ॐ ह्रीं श्रीं आधारशक्तिकमलासनाय नमः । आ मंत्रथी सिंहासन उपर. ॐ ह्रीं श्रीं अर्हद्भक्तेभ्यो नमः । आ मंत्रथी हाथ जोडेल उभेल मनुष्य उपर. ॐहीं चं चामरकरेभ्यो नमः । आ मंत्र द्वारा चमरधरो उपर. ॐ ह्रीँ विमलवाहनाय नमः । आ मंत्र बडे बे हाथीओ उपर. ॥ ४५६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy