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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥ | अष्टोत्तरी शतस्नात्र विधिः ॥ ।। ४३६ ।। नवग्रह मंडलालेख इति शुक्रपूजा ॥६॥ ॐ बुधाय नमः ॐ शुक्राय नमः ॐ चंद्राय नमः शनैश्चरने चुआकस्तूरीनो आलेख, तथा पूजा, अकलबेरनी मालाए मंत्र गणवो, अडदनी दालनो | शुक्र-६ सोम-२ लाडवो मूकवो. शनिनो मंत्र- ॐ शनैश्चराय आँ क्राँ ही क्रोडाय नमः ॥७॥ प्रार्थना - श्री सुव्रतजिनेन्द्रस्य, नाम्ना सूर्यागसंभव ! । प्रसन्नो भव शान्तिं च, रक्षां कुरु *गुरवे नमः ॐ सूर्याय नमः ॐ भौमाय नमः जयश्रियम् ॥८॥ सूर्य-१ मंगल-३ इति शनि पूजा । राहुने चूआ कस्तूरीनो आलेख, अने पूजन, अकलबेरनी मालाए मंत्र गणवो, अडदनो लाडवो मूकवो. * केतवे नमः शनैश्चराय नमः राहवे नमः राहुनो मंत्र- ॐ वाँ श्री ब्रःवः वः पिंगलनेत्राय कृष्णरूपाय राहवे नमः स्वाहा ॥८॥ शनैश्वर- राहु-८ प्रार्थना - श्रीनेमिनाथतीर्थेश-नाम्ना त्वं सिंहिकासुत ! । प्रसन्नो भव शान्तिं च, रक्षां कुरु जयश्रियम् ॥९॥ इति राहुपूजा ॥ ४३६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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