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________________ I ॥ कल्याणकलिका. खं०२॥ ।। प्रस्तावना ।। चल ॥ ४७ ॥ कराववी जोइये. विधिकार डाभनी पींछीथी पाणी छांटे अने स्थापना पछी ते जोइने लोके अमृत झर्यानु कहे एनो मौनपणे स्वीकार | करबो एमां कंइ ज लाभ नथी लोको तमारा छांटेला मंत्रित जलनां बिंदुओ जोइने अमृत झर्यानुं कहे तो तमारे खरी वस्तुस्थिति प्रकट करवी जोइये. प्रतिष्ठा प्रसंगे आवी सरलता अने निखालसता राखवी एज क्रियाकारकनो मुख्य गुण छे.. ८- विधिकारोनी शंका अने समाधान-आधुनिक विधिकारोमा परिभाषाओ, विधिविधानो, प्रतिष्ठाचार्यो, स्नात्रकारो अने सामग्री | विषयक भिन्न भिन्न शंकाओ चाली रही छे, छतां नथी एक बीजाने कोइ पूछतुं अने नथी बीजाने पूछवाथी सीधो उत्तर मलतो, जेओ साथे विधानना कामे जाय छे ते पैकीनी कोइ पण व्यक्ति भले एक बीजाने मन खोलीनो ए संबन्धमा वात करे, बाकी भिन्न मंडलीमां जनार कोइ विधिकार पोते-विशेष जाणकार बीजा विधिकारने पूछीने कंइ नवु मेळवी शकतो नथी एम अमने जणायुं छे, जाणे के विधिकारोना जुदा जुदा संप्रदायो बंधाइ गया छे. दरेक मंडलीना अनुयायी विधिकारो पोताना क्रियाविधानोने श्रेष्ठ गणे छे अने बीजाना विधानने उदासीन भावे जुए छे, ज्यारे केटलाको ते एक बीजाना विधानोनी टीकाओ सूधां करी बेसे छे, आ परिस्थितिने सुधारवी घटे छे. शंकाविषयक प्रश्नोत्तरो१. प्र. विधिमा जे अधिवासना विधि आवे छे एनो शो अर्थ शाय छे ? उ० अधिवासनानो अर्थ 'मंत्र' ए थाय छे, केसर पुष्पादि द्रव्योने मंत्रवडे मंत्रीने तैयार करवां ते अधिवासना, तेमज प्रतिमा विगेरेने तेना मंत्रवडे मंत्र ते अधिवासना कहेवाय छे. अने मंत्रेली वस्तु 'अधिवासित' कहेवाय छे. २- प्र० आसननो अर्थ शो ? कोइ आसन एटले बेस, एवो अर्थ करे छे ज्यारे कोइ आसनने बेसवानुं स्थान कहे छे. आ बेमां खरो अर्थ कयो? ॥ ४७ ।। Jain Education Interation For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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