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________________ । कल्याण कलिका. । ।। ध्वज दण्डप्रतिष्ठा ॥ खं० २॥ ३९९ ॥ चतुर्भुजा तडिद्वर्णा, कमलाक्षी वरानना । भद्रं करोतु संघस्या-ऽच्छुप्ता तुरगवाहना ॥१०॥ समस्तवेआवच्चग० संति० सम्मद्दि० करेमि- का०, अन्नत्थ०, १ नव० नमोऽर्हत् स्तुतिः - संघेऽत्र ये गुरुगुणौघनिघे सुवैया-वृत्त्यादिकृत्यकरणैकनिबद्धकक्षाः । ते शान्तये सह भवन्तु सुराः सुरीभिः, सदृष्टयो निखिलविघ्नविघातदक्षाः ॥११॥ १ नवकार गणी बेसी नमुत्थुणं० जावंति० नमोऽर्हत् स्तवनने ठेकाणे लघुशान्ति कही, जयवीराय कहेवा, ए पछी सकलसंधनी साथे प्रतिष्ठाचार्य अक्षतांजलि भरी ध्वजदण्ड सामे उभी रही, मंगलगाथाओनो पाठ करी अक्षताञ्जलि दंड उपर नाखे; हवे ध्वजने दण्ड उपर चढावबी, देशाचारे जो दण्ड अने ध्वजना चढावा जुदा बोलाया होय तो ध्वजा थालीमा जुदी राखवी, चढाववानो समय निकट आवतां ध्वजादण्ड उठावीने चैत्यने ३ प्रदक्षिणा करी शिखर उपर चढाववो. शिखर उपर चढी प्रथम शिखरना कलश उपर - कुलधर्मजातिलक्ष्मी-जिनगुरुभक्तिप्रमोदितोन्नतिदे । प्रासादे पुष्पाञ्जलि-रयमस्मत्करकृतो भूयात् ॥१॥ आ काव्य बोली पुष्पांजलि नाखवी, अने - चैत्याग्रतां प्रपन्नस्य, कलशस्य विशेषतः । ध्वजारोपविधौ स्नानं, भूयाद् भक्तजनैः कृतम् ॥१॥ आ श्लोक बोली शिखरना कलशने न्हवण कराववं, पछी ध्वजदंड जेमा स्थापवानो छे ते ध्वजाधारमां पंचरत्ननो न्यास करवो, अने शुभग्रहदृष्ट शुभलग्नना शुभनवमांशमां ध्वजदंड स्थापित करवो, सूरिमंत्र वडे ते उपर वासक्षेप करवो, आगल फलो ढौंकवां, गोहुं तल आदिना ५-५ लाडवा 'कांकरिआ' आदि बलि ढोवो. Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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