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________________ ॥ ध्वज ॥ कल्याण-I कलिका. खं० २॥ प्रतिष्ठा ।। ध्वजदण्ड मूलनायकना जमणा हाथ तरफना पाछलना पडरा उपर सीधो उभो करखो. ध्वजदण्ड रोप्या पछी प्रतिष्ठाचार्ये प्रवचनमुद्राए नीचे प्रमाणे देशना करवी. - देवस्याऽयतने भक्त्या, ध्वजमारोपयन्ति ये । त्रैलोक्यश्रीस्तनोत्संगे, स्वं समारोपयन्ति ते ॥१॥ धत्ते ध्वजोऽत्र धन्यानां, सुरसद्मशिरःस्थितः । तरङ्गिततनुः साक्षात्, स्वर्गनिःश्रेणिरूपताम् ।।२।। यावन्तः प्राणिनस्तत्र, लग्नाः कुर्युः प्रदक्षिणाः । तावन्तः प्राप्नुवन्त्यत्र, शिवस्थानमनुत्तमम् ॥३॥ - जे मनुष्यो देवमंदिर उपर भक्तिपूर्वक ध्वजा चढावे छे, तेओ पोताने त्रण लोकनी लक्ष्मीना उरःस्थल उपर आरूढ करे छे. देवमंदिरना मस्तक उपर रहीने फरकती आ ध्वजा भाग्यशाली मनुष्योने माटे साक्षात् स्वर्गनी नीसरणी रूप छे. जेटला जीवो भावपूर्वक आ ध्वजादण्डनी प्रदक्षिणा करे छे, ते सर्व उत्तमोत्तम एवा मोक्षस्थानने पामे छे, इत्यादि ध्वजारोपण- फल सांभलीने चढावनार पोताना अत्माने कृतकृत्य मानतो देव, गुरु, संघनी पूजा करी यथाशक्ति दीन दुखीने अन्नदानादिकथी संतुष्ट करे. ध्वजागतिनुं शुभाशुभफल - ध्वजदंड आरोपी ध्वजा छोडीने तेनी गति उपरथी निमित्त जोवां. ध्वजा पवनना प्रयोगधी कलशथी १ हाथ उंची चढे, तो चढावनार रोगादिकना भयथी मुक्त रहे, ध्वजा जो २ हाथ उंची जाय तो चढावनारने सन्तानवृद्धि थाय छे, ध्वजा जो ३ हाथ उंची चढे तो चढावनारना घेर धनधान्यनी वृद्धि थाय छे, ध्वजा जो ४ हाथ उंची जाय तो राजाने घरे वृद्धि थाय, ध्वजा जो ५ हाथ उंची चढे तो सुभिक्ष थाय अने राष्ट्रनी वृद्धि थाय छे. ध्वजा प्रथम उडीने पूर्व दिशा तरफ जाय तो चढावनारनी सर्व इच्छाओ पूर्ण थाय छे, ध्वजा प्रथम आग्नेय कोणमा जाय तो ताप For Private & Personal Use Only || ४०० ॥ www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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