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॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
॥ प्रस्ताबना॥
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बिम्बप्रवेश विधिमा एमणे जे अनावश्यक उमेरो कर्यो छे तेमां केटलुक तो केवल यतिपणाना आडंबरनु ज प्रदर्शन कयु छे. अमारी पासे १५मा सैकाथी मांडीने १८मा सैका सुधीमां लखायेली ७ बिंबप्रवेश विधिओ छे पण ते पैकीना कोइ विधिमा १६ अने ४ पात्रो मूकबानो के प्रतिष्ठाने पहेले दिवसे अगासीमा जइ धूप उखेबवान के नोकारवाली गणबा- कांइ सूचन मात्र पण नथी परन्तु प्रस्तुत विधिमां ए बधो आडंबर एना लखनारे वधार्यो एटले आडंबरप्रिविधिकारोए आ संदर्भने वधावी लीधो, बधा प्रतिष्ठाचार्यो अने स्नात्रकारो आ विधान उपर राची गया एटले प्राचीन समचना ए विषयनां संक्षिप्त अने मौलिक विधानो ज्ञानभंडारोमा ज पडी रह्यां तेमनां विधानो व्यवहारमाथी उठी गयां, जेम उ० सकल- चंद्रना प्रतिष्ठाकल्पे लोकमनोरंजनद्वारा पोतानो प्रचार वधार्यो अने सारा सारा प्रतिष्ठाकल्पोने प्रचारमाथी बातल कर्या अने पोतानो अड्डो जमान्यो तेज रीते कान्तिसागरना यतिशाही आडंबरे बीजी बिंब प्रवेशविधिओने पाछल धकेली पोतानो पगदंडो जमावी लीधो आजना बधा प्रतिष्ठाचार्यों अने विधिकारो ए विधिने ज ओलखे एटले प्राचीन बिंबप्रवेशविधिओनो कंड पण उपयोग थशे नहिं एम जाणी अमोए पण आ विस्तृत बिंबप्रवेशविधिनु अनुसरण कयु छ, कलिकामां जे नानी ३ बिंब प्रवेश विधिओ आपी छे ते घणी जुनी छे. ए प्रमाणे बिंब प्रवेशविधि करावाय तो घणा ज ओछा खर्चे काम थइ शके तेम छे.
बिंबप्रवेश विधिमां एक बीजी भूलप्रचलितबिंबप्रवेशविधि छपाया पछी थोडाक समयमा अमारी पासे आवेल, अमोए तेना प्रकरणोनां शीर्षको जोयां तो एक शीर्षक, "नवीनप्रासादे नवीनप्रतिमास्थापन" ए, जोयुं, अमारा माटे ए वस्तु नवी हती, तरत ते प्रकरण बांच्युं तो आश्चर्यसाथे दुःख थयु के आ लेखकनी एक अज्ञान जनित भूल हती, वास्तवमां आ प्रकरण नव्यप्रासादना निर्माणमां करातुं 'कूर्मस्थापन' प्रकरण हतुं, गुणरत्नसूरि, विशालराजशिष्य आदिना प्रतिष्ठाकल्पोमां आ वस्तु स्पष्टरूपे लखेली छे छतां तेने न समजीने कांतिसागरे आ छेबर्डी वाल्यो छे एमां
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