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I ॥ कल्याण- कलिका. खं० २॥
लिप्तसूरिप्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥
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७, ॐ नमो मोहिन्यै स्वाहा ।
तृतीय वलये २४ लोकान्तिक पदानि-ॐ नमः सारस्वतेभ्यः स्वाहा १, ॐ नम आदित्येभ्यः स्वाहा २, ॐ नमो वह्निभ्यः | स्वाहा ३, ॐ नमो वरुणेभ्यः स्वाहा ४, ॐ नमो गर्दतोयेभ्यः स्वाहा ५, ॐ नमस्तुषितेभ्यः स्वाहा ६, ॐ नमोऽव्याबाधेभ्यः स्वाहा ७, ॐ नमोऽरिष्टेभ्यः स्वाहा ८, ॐ नमोऽग्न्याभेभ्यः स्वाहा ९, ॐ नमः सूर्याभेभ्यः स्वाहा १०, ॐ नमश्चन्द्राभेभ्यः स्वाहा ११, ॐ नमः सत्याभेभ्यः स्वाहा १२, ॐ नमः श्रेयस्करेभ्यः स्वाहा १३, ॐ नमः क्षेमंकरेभ्यः स्वाहा १४, ॐ नमो वृषभेभ्यः स्वाहा १५, ॐ नमः कामचारेभ्यः स्वाहा १६, ॐ नमो निर्माणेभ्यः स्वाहा १७, ॐ नमो दिशान्तरिक्षेभ्यः स्वाहा १८, ॐ नमः आत्मरक्षितेभ्यः स्वाहा १९, ॐ नमः सर्वरक्षितेभ्यः स्वाहा २०, ॐ नमो मरुतेभ्यः स्वाहा २१, ॐ नमो वसुभ्यः स्वाहा २२, ॐ नमोऽश्वेभ्यः स्वाहा २३, ॐ नमो विश्वेभ्यः स्वाहा २४ ।
चतुर्थ वलये १६ विद्यादेवी पदानि- ॐ नमो रोहिण्यै स्वाहा । ॐ नमः प्रज्ञप्त्यै स्वाहा २। ॐ नमो वज्रशृंखलायै स्वाहा ३॥ ॐ नमो वज्रांकुश्यै स्वाहा ४॥ ॐ नमोऽप्रतिचक्रायै स्वाहा ५। ॐ नमः पुरुषदत्तायै स्वाहा ६। ॐ नमः काल्यै स्वाहा । ॐ नमो महाकाल्यै स्वाहा ८॥ ॐ नमो गौर्यै स्वाहा । ॐ नमो गान्धायै स्वाहा १०॥ ॐ नमो महाज्वालायै स्वाहा १॥ ॐ नमो मानव्यै स्वाहा १२॥ ॐ नमो वैराट्यायै स्वाहा १३॥ ॐ नमोऽछुप्तायै स्वाहा १४॥ ॐ नमो मानस्यै स्वाहा १५। ॐ नमो महामानस्यै स्वाहा १६।।
पंचम वलये सौधर्मेन्द्रादि ८ पदानि-ॐ नमः सौधर्मादीन्द्रादिभ्यः स्वाहा । ॐ नमस्तद्देवीभ्यः स्वाहा । ॐ
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