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________________ ॥ कल्याण कलिका. खं० २ ।। ॥ ३०७ ॥ Jain Education International ६ १८ आ कोष्ठकने फरता आंकडाथी लोकान्तिक देवोनां क्रमिक नामोना नंबरो समजवाना छे. आ प्रत्येक कोष्ठकमां ॐ नमः सारस्वतेभ्यः स्वाहा १, ॐ नमः आदित्येभ्यः स्वाहा २, ॐ नमो वह्निभ्यः स्वाहा ३, ॐ नमो वरुणेभ्यः स्वाहा ४, ॐ नमो गर्दतोयेभ्यः पूर्वा २ स्वाहा ५, ॐ नमस्तुषितेभ्यः स्वाहा ६, ॐ नमो ऽव्याबाधेभ्यः स्वाहा ७, ॐ नमो ऽरिष्टेभ्यः स्वाहा ८, ॐ नमो ऽग्न्याभेभ्यः स्वाहा ९, ॐ नमः सूर्याभेभ्यः स्वाहा १०, ॐ नमश्चन्द्राभेभ्यः स्वाहा ११, ॐ नमः सत्याभेभ्यः स्वाहा १२, ॐ नमः श्रेयस्करेभ्यः स्वाहा १३, ॐ नमः क्षेमंकरेभ्यः स्वाहा १४, ॐ नमो वृषभाभेभ्यः स्वाहा १५, ॐ नमः कामचारेभ्यः स्वाहा १६, ॐ नमो निर्माणेभ्यः स्वाहा १७, ॐ नमो दिशान्तरक्षितेभ्यः स्वाहा १८, ॐ नमः आत्मरक्षितेभ्यः स्वाहा १९, ॐ नमः सर्वरक्षितेभ्यः स्वाहा २०, ॐ नमो मरुतेभ्यः स्वाहा २१, ॐ नमो वसुभ्यः स्वाहा २२, ॐ नमो ऽश्वेभ्यः स्वाहा २३, ॐ नमो विश्वेभ्य स्वाहा २४. १६ १५ ४ १४ १३ ७ २१ २२ पश्चिम वायव्य नैर्ऋत्या उत्तरा लोकान्तिक कोष्टक २३ २४ ऐग्रणी दक्षिणा आग्नेयी ३ एप्रमाणे क्रमांक साधे पूरा नाम मंत्रो लखवा. ४ - - चोथा वृत्तमां आलेख करवो. “ॐ नमो रोहिण्यै स्वाहा १, ॐ नमः प्रज्ञप्त्यै स्वाहा २, ॐ नमो वज्रशृंखलायै स्वाहा ३, ॐ नमो वज्रांकुश्यै For Private & Personal Use Only - दिशा - विदिशामा २-२ ना हिसाबे १६ कमलपत्रो बनावीने तेमां नीचेना क्रमथी सोल विद्यादेविओनो ॥ श्री पाद लिप्तसूरि प्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥ ।। ३०७ ।। www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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