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॥ कल्याण
कलिका. खं० २ ।।
।। ३०६ ।।
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ॐ नमः श्रियै स्वाहा १७, ॐ नमो देव्यै स्वाहा १८, ॐ नमः प्रभावत्यै स्वाहा १९, ॐ नमः पद्मावत्यै स्वाहा २०, ॐ नमो वप्रायै स्वाहा २१, ॐ नमः शिवायै स्वाहा २२, ॐ नमो वामायै स्वाहा २३, ॐ नमः त्रिशलायै स्वाहा २४. ए २४ मातृनाम मंत्रो लखवा, पछी ए बीजा वृत्तमां ज केसरनी पांखडिओनी नीचेथी बहार निकळेलां आठ कमलपत्र पूर्वादि आठ दिशाओमां बनावीने पूर्वादि ४ दिशाओमां ॐ जयायै स्वाहा १, ॐ विजयायै स्वाहा २, ॐ अजितायै स्वाहा ३ ॐ अपराजितायै स्वाहा ४, आ चारनो न्यास करवो अने आग्नेयादि ४ विदिशाओमां –
ॐ जम्भायै स्वाहा ५, ॐ जंभिन्यै स्वाहा ६, ॐ मोहायै स्वाहा ७, ॐ मोहिन्यै स्वाहा ८, आ चार देवीओनो आलेख
करवो.
३ त्रीजा वृत्तमां – पूर्वादि दिशा-विदिशाओमां ३-३ कमलपत्ररूपे कोठाओ पाडीने कोष्टकनुं वलय करवु, अने ते पछी ईशान १, पूर्व २, आग्नेय ३, दक्षिण ४, नैऋत्य ५, पश्चिम ६, वायव्य ७ अने उत्तर ८ आ क्रमथी आठ दिशाओमां अनुक्रमे सारस्वत १, आदित्य २, बह्नि ३, वरुण ४, गर्दतोय ५, तुषित ६, अव्याबाध ७ अने अरिष्ट ८, ए आठ लोकान्तिक देवोनो आलेख कर्या पछी सारस्वत-आदित्य बेनी बच्चे ९ अग्न्याभ अने १० सूर्याभ, आदित्य - वह्नि बेनी बच्चे ११ मा चंद्राभ अने १२ सत्याभ, वह्नि-वरुण बेनी बच्चे १३-१४ श्रेयस्कर अने क्षेमंकर, वरुण-गर्दतोय बेनी बच्चे १५ वृषभाभ अने १६ कामचार, गर्दतोय तुषितनी बच्चे १७-१८ निर्माण अने दिशान्तरक्षित, तुषित-अव्याबाध बेनी बच्चे १९-२० आत्मरक्षित अने सर्वरक्षित, अन्याबाध - अरिष्टनी बच्चे २१-२२ मरुत अने वसु, अने अरिष्ट-सारस्वत बेनी बच्चे २३ अश्व अने २४ विश्व, ए नामक लोकान्तिक देवोनुं आलेखन कर.
नीचेना कोष्ठक ऊपरथी कया दिशाभागमां कया लोकान्तिक देवनुं स्थान छे ते जणाशे -
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॥ श्री पाद
लिप्तसूरि
प्रणीतः
प्रतिष्ठा
विधिः ॥
।। ३०६ ।।
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