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॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
श्री पादलिप्तरिप्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥
१-प्रथमवृत्तमां-मध्यभागे नन्द्यावर्तनो आकार आलेखी तेना मध्यमां -
“ॐ नमो हद्भ्यः स्वाहा १ अने पूर्वादि दिशाओमां अनुक्रमे-“ॐ नमः सिद्धेभ्यः स्वाहा २, ॐ नम आचार्येभ्यः स्वाहा ३, ॐ नम उपाध्यायेभ्यः स्वाहा ४ अने ॐ नमः सर्वसाधुभ्यः स्वाहा ५, आ पदो लखवां तथा आग्नेयादि खुणाओमां अनुक्रमे-“ॐ नमो ज्ञानाय स्वाहा ६, ॐ नमो दर्शनाय स्वाहा ७, ॐ नमश्चारित्राय स्वाहा ८ अने ॐ नमः शुचिविधायै स्वाहा । ___आ ९ मंत्र पडो लखीने जिननी जमणी बाजु उपर 'ॐ नमः शक्राय स्वाहा १०, तेनी नीचे ॐ नमः श्रुतदेवतायै स्वाहा ११, जिननी डाबी बाजु 'ॐ' नम ईशानाय स्वाहा १२, नीचे ॐ नमः शान्ति देवतायै स्वाहा १३ मुं लखवू अने ॐ नमो नंद्यावर्ताय स्वाहा' आ मंत्र नंद्यावर्तनी उपर लखवो. नन्द्यावर्तनी पूर्वादि दिशाओने छेडे अनुक्रमे वज्र, यव, अंकुश अने पुष्पमालाना आकारो आलेखवा अने पूजन समये नाम मंत्रो बोलीने पुष्पादि बड़े पूजवा.
(२) बीजा वृत्तमां – कर्णिकानी तरफथी निकलेली केसरनी पांखडीओ बनाववी, पांखडी मूलमां धोली, मध्यमा राती अने अंतमां पीला रंगनी करवी, पांखडीओमां दिशा विदिशामा ३-३ ना हिसाबे २४ कोष्ठको करवां अने पूर्व कोष्ठकथी शरु करीने--
ॐ नमो मरुदेव्यै स्वाहा १, ॐ नमो विजयायै स्वाहा २, ॐ नमः सेनायै स्वाहा ३, ॐ नमः सिद्धार्थायै स्वाहा |४, ॐ नमो मंगलायै स्वाहा ५, ॐ नमः सुसीमायै स्वाहा ६, ॐ नमः पृथव्यै स्वाहा ७, ॐ नमो लक्ष्मणायै स्वाहा
८, ॐ नमो रामायै स्वाहा ९, ॐ नमो नन्दायै स्वाहा १०, ॐ नमो विष्णवे स्वाहा ११, ॐ नमो जयायै स्वाहा १२, ॐ नमः श्यामायै स्वाहा १३, ॐ नमः सुयशसे स्वाहा १४, ॐ नमः सुव्रतायै स्वाहा १५, ॐ नमोऽचिरायै स्वाहा १६,
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