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॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥
लिस
|| श्री पादलिप्तसूरिप्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥
याला
॥ ३०८ ।।
त्र
स्वाहा ४, ॐ नमो ऽप्रतिचक्रायै स्वाहा ५, ॐ नमः पुरुषदत्तायै स्वाहा ६, ॐ नमः काल्यै स्वाहा ७, ॐ नमो महाकाल्यै 18 स्वाहा ८, ॐ नमो गौर्ये स्वाहा ९, ॐ नमो गान्धायै स्वाहा १०, ॐ नमो महाज्वालायै स्वाहा ११, ॐ नमो मानव्यै स्वाहा १२, ॐ नमो वैरोट्यायै स्वाहा १३, ॐ नमो ऽच्छुप्तायै स्वाहा १४, ॐ नमो मानस्यै स्वाहा १५, ॐ नमो महामानस्यै स्वाहा १६ ।"
५ - पांचमा वृत्तमां - पूर्वादि दिशा विदिशाओमां कमलपत्राकारे ८ कोष्ठको बनाववां अने तेमा क्रमशः पूर्वादिमां
ॐ नमः' सौधर्मादीन्द्रादिभ्यः स्वाहा १, ॐ नमस्तद्देवीभ्यः स्वाहा २, ॐ नमो चमरादीन्द्रादिभ्यः स्वाहा ३, ॐ नमस्तद्देवीभ्यः स्वाहा ४, ॐ नमश्चन्द्रादीन्द्रादिभ्यः स्वाहा ५, ॐ नमस्तद्देवीभ्यः स्वाहा ६, ॐ नमः किन्नरादीन्द्रादिभ्यः स्वाहा ७, ॐ नमस्तद्देवीभ्यः स्वाहा ८.
ए प्रमाणे मंत्रो आलेखवा.
६ - छट्ठा वलयमां – पूर्वादि दिशाओमां कमल पत्राकारे आठ कोष्ठको करीने तेमां - ॐ नमः इन्द्राय स्वाहा १, ॐ नमोऽग्नये स्वाहा २, ॐ नमो यमाय स्वाहा ३, ॐ नमो निर्ऋतये स्वाहा ४, ॐ नमो वरुणाय स्वाहा ५, ॐ नमो वायवे स्वाहा ६, ॐ नमः कुबेराय स्वाहा ७, ॐ नमः ईशानाय स्वाहा ८, लखवू तथा उर्ध्वदिशामां ॐ नमो ब्रह्मणे स्वाहा ९, अने अधोदिशामां 'ॐ नमो धरणेन्द्राय स्वाहा' १० लखवू.
प्रथम वृत्तमा नन्द्यावर्त्तस्थित जिनबिम्बनां चरणो नीचे -
शा
यान
ल
|| ३०८ ॥
ANA
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