SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 373
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ कल्याणकलिका. खं०२॥ ॥ २९७ ॥ नमः ।" ३ “ॐ कालाय नमः ।" ४ "ॐ नीलाय नमः ।" ए पछी पश्चिमद्वारे जइ प्रतिष्ठा करे तेना मंत्रो. ॥ श्री पाद१."ॐ अश्वत्थात्मने सलिलाधिपतोरणाय नमः।" २-"ॐ पश्चिमद्वारव्यवस्थिताय गजध्वजाय नमः।" ३ "ॐ लिप्तसूरिजलाय नमः ।" ४. “ॐ अजलाय नमः ।" प्रणीतः एज रीते उत्तरद्वारे जइ प्रतिष्ठा करे तेना मंत्रो - प्रतिष्ठा१ ॐ "प्लक्षात्मने यक्षाधिपतोरणाय नमः।"२- "ॐ उत्तरद्वारव्यवस्थिताय सिंहध्वजाय नमः।" ३-"ॐ अचलाय विधिः ॥ FN नमः ।" ४."ॐ लुलिताय नमः ।" ए पछी प्रतिष्ठाचार्य स्नात्रकारोनी साथे मूलनायक प्रतिमार्नु मुख जे दिशा संमुख राखबार्नु होय तेना सामेनी दिशाना द्वारथी मण्डपमा जइने “ॐ भूरसि भूतधात्री सर्वभूतहिते विचित्रवणैरलंकृते देवि ! भूमिशुद्धिं कुरु २ स्वाहा ।" आ मंत्रथी भूमि उपर त्रण वार वासक्षेप करे, स्नात्रकारो जल, चन्दनादि छांटे, पुष्प चढावे, धूप उखेवे, वेदीनी च्यारे तरफ १००-१०० हाथनी अन्दर अपवित्र वस्तु 'लोही, मांस-हाडकुं मल-मूत्रादि होय तो दूर करावी भूमिशुद्धि करे. ज्यां पूर्वप्रतिष्ठित पंचतीर्थी आदि प्रतिमा देववंदनादि निमित्ते स्थापवी होय त्यां सिंहासनादि स्थापन करीने ते उपर “ॐ चतुर्मुखदिव्यसिंहासनाय नमः ।" ए मंत्रथी वासक्षेप करवो. ज्यां नवीन प्रतिष्ठाप्य प्रतिमाओ स्थापित करवानी होय ते वेदी उपर “ॐ अर्हत्पीठाय नमः ।" आ मंत्रे वासक्षेप करी मंडप प्रतिष्ठानुं कार्य पूर्ण कर. मंडप प्रतिष्ठा थया पछी शुद्धपणे तैयार करावेल अने घण्टाकर्णना मंत्रथी २१ बार अथवा ७ वार अभिमंत्रित करीने तैयार राखेल | । | ॥ २९७ ॥ Jain Education International For Private Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy